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एक सीटी के बाद शांत हो जाता है सुपौल स्टेशन, बेहाल रहते है यात्री

तीन चरण में लिए गए मेगा ब्लाक के उपरांत लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सहरसा से राघोपुर तक गाड़ी का परिचालन संभव हो सका। परिचालन के नाम पर वर्तमान में केवल एक पैसेंजर गाड़ी का राघोपुर-सहरसा के बीच आवागमन हो रहा है।

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 03:32 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 03:32 PM (IST)
तीन चरणों में हुआ था मेगा ब्लाक, लंबे इंतजार के बाद मिली बस एक पैसेंजर रेलगाड़ी

सुपौल, जेएनएन। अमान-परिवर्तन के नाम पर सहरसा-फारबिसंगज रेलखंड पर तीन चरण में लिए गए मेगा ब्लाक के उपरांत लंबे इंतजार के बाद आखिरकार सहरसा से राघोपुर तक गाड़ी का परिचालन संभव हो सका। परिचालन के नाम पर वर्तमान में केवल एक पैसेंजर गाड़ी का राघोपुर-सहरसा के बीच आवागमन हो रहा है। कहने को तो इस रेलखंड पर परिचालन शुरू कर दिया गया है। किन्तु इसका कोई लाभ यात्रियों को नहीं मिल पा रहा है। नतीजा है कि आज भी इस इलाके के लोग सड़क यातायात के बलबूते ही हैं और वाहन मालिकों के दोहन और शोषण के शिकार हो रहे हैं।अमान-परिवर्तन के बाद पहले चरण में सहरसा से गढ़ बरूआरी रेलवे स्टेशन तक परिचालन शुरू किया गया। कुछ महीने बाद परिचालन सुपौल तक बढ़ाया गया।

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सिर्फ एक पैसेंजर गाड़ी का हो रहा परिचालन 

वर्तमान में रेल की आवाजाही सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड के राघोपुर रेलवे स्टेशन तथा निर्माणाधीन रेलखंड सहरसा-निर्मली के कुपहा स्टेशन तक ही है। परिचालन के नाम पर इस रेलखंड पर केवल एक सवारी गाड़ी का परिचालन हो रहा है। जो सुबह 6.45 बजे सहरसा से चल कर 8.00 बजे सुपौल पहुंचती है। यही गाड़ी सरायगढ़ से कुपहा के लिए प्रस्थान करती है। कुपहा से लौट कर यह गाड़ी वापस सरायगढ़ आती है और सरायगढ़ से फिर राघोपुर जाती है। दिन के 2 बजे लौट कर यह गाड़ी सुपौल रेलवे स्टेशन आती है और सहरसा के लिए प्रस्थान करती है। इस गाड़ी से राघोपुर जाने वाले यात्रियों को बेवजह लगभग दो घंटे समय बर्बाद करना होता है और उन्हें कुपहा का चक्कर लगाना पड़ता है।

लंबी दूरी की गाड़ी का अब तक साकार नहीं हो सका सपना

आमान-परिवर्तन के बाद जब इस रेलखंड पर गाड़ी का परिचालन सुनिश्चित हुआ तो उद्घाटन के मौके पर कहा गया था कि जल्द ही सुपौल से कोलकाता, दिल्ली और पटना के लिए रेल सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी और सुपौल से लंबी दूरी की गाडिय़ों का परिचालन होगा। किन्तु छह महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद अब भी यह रेलखंड केवल एक सवारी गाड़ी के बलबूते है। नतीजा है कि इस परिचालन से न तो आम लोगों को फायदा हो रहा है और न ही उनकी लंबी यात्रा की ही आस पूरी हो रही है। 24 घंटे के अंतराल पर पर ही सुपौल रेलवे स्टेशन पर गाड़ी की सीटी सुनाई देती है और उसके बाद शांत हो जाता है सुपौल रेलवे स्टेशन।  


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