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Supaul : सौ एकड़ में होगी मखाना की खेती, सरकार किसानों को देगी आधा खर्च, इस तरह उठा सकते हैं लाभ

मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार अनुदान दे रही है। सुपौल में इस बार सौ एकड़ में इसकी खेती की जाएगी। इसके लिए सरकार द्वारा 50 फ़ीसदी अर्थात 13600 अनुदान की राशि दी जाएगी। कृषि कार्यालय से संपर्क कर किसान इसका लाभ ले सकते हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 11:07 AM (IST)Updated: Sun, 28 Mar 2021 07:08 AM (IST)
Supaul : सौ एकड़ में होगी मखाना की खेती, सरकार किसानों को देगी आधा खर्च, इस तरह उठा सकते हैं लाभ
मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार अनुदान दे रही है।

जागरण संवाददाता, सुपौल। जिले में मखाना खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। उद्यान निदेशालय पटना के निर्देश पर मखाना क्षेत्र विस्तार योजना के तहत जिले में 2020-21 के लिए एक सौ एकड़ हेक्टेयर में मखाने की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इन खेती पर किसानों को सरकार द्वारा अनुदान भी दी जाएगी। विभाग का मानना है कि मखाना खेती पर लगभग 27 हजार 200 की लागत प्रति हेक्टेयर आता है। जिस पर सरकार द्वारा 50 फ़ीसदी अर्थात 13600 अनुदान की राशि दी जाएगी।

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विभाग ने लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिले के तीन प्रखंड सुपौल, किशनपुर तथा सरायगढ़-भपटियाही को प्राथमिकता में रखा है। इसके अलावा अन्य प्रखंडों के किसानों द्वारा भी पोखर में की जाने वाली मखाना खेती के लिए अनुदान देने का फैसला लिया है। इधर सरकार द्वारा मखाना खेती पर अनुदान की व्यवस्था किए जाने के बाद किसानों में खुशी देखी जा रही है। जिसके कारण कोरोना संक्रमण के बाद भी जिले के किसान मखाना खेती को ले आगे आ रहे हैं। दरअसल इससे पूर्व मखाना खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र और जलवायु रहने के बाद भी सरकार द्वारा इस दिशा में पहल नहीं की जाती थी। जिसके कारण यहां के किसान मखाना की खेती में रुचि नहीं ले रहे थे। गत वर्ष सरकार द्वारा महज 10 हेक्टेयर खेतों में मखाना लगाने के लिए लक्ष्य दिया गया था जिसे इस वर्ष बढ़ाकर 100 हेक्टेयर कर दिया गया है।

प्रगति रिपोर्ट आधार पर किसानों का किया गया चयन

मखाना क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अबकी बार उन किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है जिसे प्रगति रिपोर्ट के आधार पर चयन किया गया था। इस खेती में अच्छी आमदनी होने के कारण किसानों का रुझान मखाने खेती की ओर हो रहा है। इसके अलावा मखाना खेती को सही तरीके से करने के लिए भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया को बतौर नोडल केंद्र बनाया गया है। जिससे किसानों को खेती की तकनीकी की जानकारी वहां के कर्मियों द्वारा समय-समय पर दी जा रही है। इसके अलावा इसी विश्वविद्यालय द्वारा मखाना की नई प्रजाति सबौर-1 प्रजाति का मखाना किसानों को भा रहा है। महाविद्यालय द्वारा मखाना खेती से जुड़े कई किसानों के बीच इस प्रजाति के बीज का वितरण किया जा चुका है। किसानों को लग रहा है कि नई तकनीक की जानकारी व उन्नत बीज मिलने से इस बार मखाना खेती उनके लिए फायदे की खेती होगी।

किसानों से लिए जा रहे आवेदन

फिलहाल मखाना खेती के लिए अनुदान पाने वाले इच्छुक किसानों से विभाग द्वारा आवेदन लिए जा रहे हैं। जिसमें किसानों को आवेदन के साथ भूस्वामी प्रमाण पत्र या अद्यतन रशीद, आधार कार्ड, फोटो तथा बैंक पासबुक का फोटो कॉपी संलग्न करना होता है।

लक्ष्य किया गया निर्धारित

मखाना खेती के लिए जिले को 100 हेक्टेयर का जो लक्ष्य प्राप्त हुआ है उसमें एक 11.122 हेक्टेयर सामान्य जाति के किसान, 2.144 अनुसूचित जाति, 0.134 अनुसूचित जनजाति किसानों के लिए निर्धारित किया गया है।

जिले में मखाना खेती को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष सरकार द्वारा मखाना खेती के रकबा को बढ़ाया गया है। जहां पिछले वर्ष इस खेती के लिए 10 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित था वहीं इस बार इसे बढ़ाकर एक सौ हेक्टेयर कर दिया गया है। जिस पर किसानों को 50 फीसद अनुदान भी दिया जाएगा। फिलहाल किसानों से ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं। - अकाश कुमार, सहायक उद्यान पदाधिकारी


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