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गर्दिश में कटिहार के इकलौते सूर्य मंदिर का सितारा, जानिए...

कटिहार का अति प्राचीन सूर्य मंदिर अब तक जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार रहा है। सिहागांव पंचायत के वार्ड संख्या नौ में अवस्थित इस मंदिर से कटिहार ही नहीं पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के लोगों की भी असीम आस्था जुड़ी हुई है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 11:13 AM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 11:13 AM (IST)
कटिहार का इकलौते व अति प्राचीन सूर्य मंदिर।

कटिहार, जेएनएन। कटिहार जिले के इकलौते व अति प्राचीन सूर्य मंदिर का सितारा भी गर्दिश में है। बलरामपुर प्रखंड के आहूता गांव स्थित अति प्राचीन सूर्य मंदिर के विकास को लेकर आज तक कोई पहल नहीं हो पाई। प्रखंड अंतर्गत सिहागांव पंचायत के वार्ड संख्या नौ में अवस्थित इस मंदिर से कटिहार ही नहीं पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के लोगों की भी असीम आस्था जुड़ी हुई है।

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विकास का वादा नहीं ले पाया आकार

अति प्राचीन सूर्य मंदिर अब तक जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार रहा है। समय-समय पर जनप्रतिनिधियों द्वारा आहूता स्थित सूर्य मंदिर को पर्यटन स्थल में विकसित करने का वादा तो किया जाता रहा है, लेकिन अब तक सूर्य मंदिर के विकास के लिए जमीन पर कुछ नहीं हो पाया है।

पश्चिम बंगाल से भी पूजा-अर्चना को पहुंचते हैं श्रद्धालु

बलरामपुर स्थित इस अति प्राचीन सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य देव की पूजा करने बिहार सहित पश्चिम बंगाल के दूरदराज क्षेत्रों से लोग पहुंचते हैं। साथ ही आस्था का महापर्व छठ में भी उपासकों द्वारा भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देकर स्तुति की जाती है। सूर्य मंदिर में पुजारी द्वारा रोज सुबह शाम भगवान सूर्य की स्तुति विनती की जाती है। इसमें स्थानीय लोगों की भी सहभागिता रहती है। बिहार एवं पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित यह सूर्य मंदिर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है लेकिन इसके विकास की सुधि किसी स्तर से नहीं ली जा रही है।

सौ वर्ष से ज्यादा प्राचीन है मंदिर

सूर्य मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर काफी प्राचीन है। सौ वर्ष से ज्यादा समय से यह मंदिर अस्तित्व में है। मंदिर में अवस्थित अष्ट्रधातु से बनी भगवान सूर्य देव की मूर्ति काफी आकर्षक है। मंदिर के आसपास रहने वाले कई बुजुर्ग लोगों ने बताया कि सूर्य मंदिर का पुनर्निर्माण सन 1980 के लगभग में पश्चिम बंगाल के दालकोला निवासी कालू प्रसाद घोष एवं उनकी पत्नी कंचन देवी द्वारा कराया गया था। वर्तमान में मंदिर कमेटी के सचिव धीरेन साहनी ने दो बीघा जमीन मंदिर के नाम से दान दी है।

सांसद ने विकास की जताई प्रतिबद्धता

सांसद डॉ दुलाल चंद्र गोस्वामी ने बलरामपुर प्रखंड स्थित अति प्राचीन सूर्य मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई है। सांसद ने बताया कि उनकी ओर से वर्तमान में मंदिर की घेराबंदी एवं मंदिर परिसर में भवन का निर्माण कराने हेतु ठोस पहल की गई है। साथ ही मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित करने हेतु संबंधित विभाग का ध्यान आकृष्ट कराते हुए जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। 


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