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बजट से उम्मीद : सुल्तानगंज-बांका नई रेल लाइन को अभी भी हरी झंडी का इंतजार Bhagalpur News

रेलवे बोर्ड ने सुल्तानगंज-बांका नई रेल लाइन को पेंडिंग में डाल दिया है। रेलवे बोर्ड ने यह कदम तब उठाया जब जमीन की कीमत बढ़ गई और जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 30 Jun 2019 11:13 AM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 11:13 AM (IST)
बजट से उम्मीद : सुल्तानगंज-बांका नई रेल लाइन को अभी भी हरी झंडी का इंतजार Bhagalpur News
बजट से उम्मीद : सुल्तानगंज-बांका नई रेल लाइन को अभी भी हरी झंडी का इंतजार Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। सुल्तानगंज-बांका नई रेल लाइन के निर्माण को रेलवे से हरी झंडी नहीं मिल पा रही है। पूर्व रेलवे के बार-बार प्रस्ताव भेजने के बाद भी रेलवे बोर्ड से हरी झंडी नहीं मिल रही है। जिले के संबंधित विभाग द्वारा जमीन अधिग्रहण का भरोसा दिलाए जाने के बाद भी बोर्ड चुप्पी साधे हुए है। पूर्व रेलवे के प्रस्ताव में जमीन की कीमत 42 लाख रुपये प्रति एकड़ बताया गया है। रेलवे को नई लाइन के लिए लगभग पांच सौ एकड़ जमीन की आवश्यकता है। जमीन भागलपुर व बांका जिले में है।

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कटोरिया, बेलहर, शंभूगंज, फुल्लीडुमर, अमरपुर इलाके के लोग वर्षो से रेल आने की आस लगाए बैठे हैं। रेल परियोजनाओं की स्वीकृति के बाद भी मंत्रालय के सियासी पेंच में पिछले कई सालों से अड़ंगा लगा हुआ है। सुल्तानगंज देवघर रेल लाइन का काम एक दशक बाद भी पूरा नहीं हो सका है। अगले माह पेश होने वाले बजट से लोगों को नई रेल लाइन के लिए राशि मिलने की उम्मीद है।

2008-09 में 75 किलोमीटर लंबी सुल्तानगंज-कटोरिया वाया बांका नई रेल लाइन बनाने को हरी झंडी रेलमंत्री लालू प्रसाद ने दी थी। उस समय इस पर 290 करोड़ के बजट का प्रावधान था। घोषणा के एक वर्ष बाद ही भू-अर्जन के लिए बजट का प्रावधान कर दिया गया। जमीन बाका व भागलपुर दोनों ही जिलों को उपलब्ध कराना था। इसके लिए रेलवे ने दोनों ही जिलों को पर्याप्त राशि भी उपलब्ध करा दी थी। सुल्तानगंज-बाका नई रेल लाइन के निर्माण को लेकर भू-अर्जन का कार्य नहीं हो पाया है। मात्र पांच-छह किलोमीटर लाइन के लिए ही भू-अर्जन हो पाया है। जमीन अधिग्रहण के मामले में दोनों ही जिलों के डीएसएलआर ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। जमीन की महंगी कीमत रेलवे को चुकानी पड़ी है। 2009 में रेलवे ने सरकार को पैसा दिया है। पहले बजट जहा 290 करोड़ की थी, वहीं दो वर्ष बाद बढ़कर वह साढ़े चार सौ करोड़ के आसपास हो गया था। अब यह बढ़कर लगभग आठ सौ करोड़ हो गया है। यह बजट तब बढ़ा है जब जमीन की कीमत मार्केट रेट से दुगुना राज्य सरकार के नए एक्ट के तहत रेलवे को देना होगा।

यहां यह बता दें कि रेलवे बोर्ड ने सुल्तानगंज-बांका नई रेल लाइन को पेंडिंग में डाल दिया है। रेलवे बोर्ड ने यह कदम तब उठाया जब जमीन की कीमत बढ़ गई और जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ। इधर, सुल्तानगंज में पाच नंबर लाइन के निर्माण के लिए राज्य सरकार ने रेलवे को जमीन उपलब्ध नहीं करा पाया है। रेलवे ने भू-अर्जन विभाग को 34 करोड़ रुपये 2009 में ही उपलब्ध करा दिया है। जमीन सुल्तानगंज के वार्ड नंबर छह व सात में पड़ता है। सुल्तानगंज में छह व सात नंबर प्लेटफार्म का भी निर्माण होना है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। रेलवे को उक्त प्लेटफार्म के निर्माण में पहले की अपेक्षा डेढ़ से दो गुणी राशि खर्च करना पड़ेगा। इसके लिए अब अलग से टेंडर कराना पड़ेगा।

सुल्तानगंज-कटोरिया रेल लाईन बना सपना
पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद ने सुल्‍तानगंज कटोरिया रेल लाइन परियोजना का शुभारंभ किया था। रेल मंत्री की इस घोषणा के बाद इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई थी। लोगों को उम्मीद थी कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद उनके दिन भी फिरेंगे। तब दिल्ली उनके लिए दूर नहीं रहेगी। घर से निकल कर सीधे ट्रेन की सवारी करेंगे। लेकिन, लालू प्रसाद के केंद्रीय सत्ता से हटते ही रेलवे ने इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। तत्कालीन जल संसाधन राज्यमंत्री सांसद जयप्रकाश नारायण यादव ने सुल्‍तानगंज से कटोरिया वाया असरगंज, तारापुर, बेलहर रेल लाइन की मंजूरी दिलाई थी। रेल लाइन के सर्वे का काम भी पूरा कर लिया गया था। लेकिन, बाद के दिनों में इस रेल परियोजना का हाल दो दिन चले ढाई कोस वाली कहावत जैसी हो गई। 2019-20 के बजट में क्षेत्र के लोगों को अपेक्षा है कि इस क्षेत्र के विकास की महत्वपूर्ण परियोजना को गति मिलेगी।


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