Rail Track Jam: नया नहीं बिहार के बड़हिया में ट्रेन रुकवाने के लिए संघर्ष, 65 साल पहले पटरियों पर बिछ गईं थीं क्षत-विक्षत लाशें
बिहार के बड़हिया स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव को लेकर स्थानीय लोग आंदोलन कर रहे हैं। इसके पहले भी यहां तूफान एक्सप्रेस के ठहराव के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था। उस दौरान पटरियों पर बिछीं क्षत-विक्षत लाशों का वीभत्स नजारा देखने को मिला था।
पटना, आनलाइन डेस्क। बिहार के लखीसराय स्थित बड़हिया स्टेशन पर दिल्ली-हावड़ा रेलखंड का चक्का जाम हो गया है। यहां कोरोनावायरस संक्रमण के पहले की तरह ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर लोग रविवार से ही आंदोलन कर रहे हैं। खास बात यह है कि बड़हिया में ट्रेनों के ठहराव के लिए यह पहला आंदोलन नहीं है। आज से 65 साल पहले 1957 में यहां के निवासियों ने तूफान एक्सप्रेस के ठहराव की मांग को लेकर जो आंदोलन किया था, उसमें पटरी पर लाशें बिछ गईं थीं।
तूफान एक्सप्रेस के ठहराव के लिए हुआ था आंदोलन
आज बड़हिया में तूफान एक्सप्रेस का ठहराव है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके लिए कितना बड़ा आंदोलन हुआ था? स्थानीय लोगों के अनुसार बड़हिया स्टेशन पर तूफान एक्सप्रेस के ठहराव की मांग जब रेलवे ने अनुसनी कर दी तो ग्रामीण आंदोलन पर उतर आए। तूफान एक्सप्रेस को रोकने के लिए ग्रामीणों ने रेलवे स्टेशन के अप लाइन पर धरना देकर चक्का जाम कर दिया। ट्रेन आई, लेकिन नहीं रुकी। वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने ट्रेन के आने की सूचना पर आंदोलनकारियों को हटाने की कोशिश की, लेकिन चार लोग पटरी पर बैठे रह गए।
क्षत-विक्षत लाशों व मांस के लोथड़ों का वीभत्स नजारा
बताया जाता है कि उस समय सरकार ने तूफान एक्सप्रेस को बड़हिया स्टेशन पर नहीं रोकने का सख्त निर्देश दिया था। तूफान एक्सप्रेस धड़धड़ाते हुए पटरी पर बैठे चारो आंदोलनकारियों को रौंदते हुए गुजर गई। इसके बाद पटरियों पर क्षत-विक्षत लाशों व खून सने मांस के लोथड़ों का वीभत्स नजारा था। ट्रेन आगे मोकामा स्टेशन पर रुकी। उस दुर्घटना में ट्रेन चालक या अन्य किसी रेलकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आठ महीने बाद मिला तूफान एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव
तब मीडिया में इस घटना की खूब चर्चा हुई थी। इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंची थी। इसके करीब आठ महीने बाद तूफान एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव बड़हिया में किया गया।