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अररिया में योजनाओं के हाल: परवाहा के महादलित बस्ती में नहीं मिल सका लाभ, बच्चों को नहीं मिल पा रहा शिक्षा का अधिकार

अररिया के परवाहा महादलित बस्ती में सरकारी योजनाओं की पहुंच अब तक नहीं है। लोगों ने बताया कि अधिकारी तो कई दफा आए। मुआयना भी किया लेकिन योजनाएं अब तक नहीं आईं। हां सुना तो बहुत कुछ लेकिन कुछ भी चरितार्थ नहीं हुआ।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 09:38 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 09:38 AM (IST)
अररिया में योजनाओं के हाल: परवाहा के महादलित बस्ती में नहीं मिल सका लाभ, बच्चों को नहीं मिल पा रहा शिक्षा का अधिकार
ऐसा है महादलित टोला का आंगनबाड़ी केंद्र।

संवाद सूत्र, परवाहा (अररिया): परवाहा पंचायत का वार्ड नं आठ महादलित बस्ती में अबतक समुचित विकास नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा तक कि स्थिति काफी दयनीय है। सरकार के द्वारा भले ही विकास की पहली प्राथमिकता में महादलितों को रखा गया हो लेकिन इस वार्ड में ऐसा कुछ नहीं दिखता है। स्थानीय ग्रामीण योगानन्द ऋषि ने बताया कि वार्ड में कई बार सरकार के बडे अधिकरियों का दौरा हो चुका है लेकिन वार्ड की हालत जस की तस है।

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बच्चे शिक्षा से हो रहे वंचित

ग्रामीणों ने बताया कि इस वार्ड के लगभग बच्चे अशिक्षा के शिकार हो चुके हैं, जिसका मुख्य कारण है गांव से विद्यालय की अधिक दूरी। अधिक दूरी होने के कारण बच्चे स्कूल नही जाना चाहते है साथ ही गांव का माहौल भी काफी खराब है जिसके चलते बच्चे पढ़ाई से ज्यादा अपने माता पिता के साथ मजदूरी करने को विवश है वहीं अशिक्षा के कारण छोटे छोटे बच्चे नशा करने लगे है लोगों ने बताया कि बड़ी मशक्कत से गांव में आंगनबाड़ी केंद्र बना वह भी झोपड़ी में ही किसी तरह भगवान भरोसे चल रही है।

वार्ड में न पक्की सड़क है न आवास है न शौचालय

इसी वार्ड की सरोज देवी ,संजुल देवी, मंगली देवी सुरेंद्र ऋषिदेव आदि ने बताया कि वार्ड में आवागमन के लिए अबतक पक्की सड़क नही बन पाई है कच्ची सड़के ही एकमात्र विकल्प है जिसके कारण बारिश के समय काफी कठिनाई उत्पन्न होती है। वहीं स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत कुछ घरों में शौचालय बना हुआ है मगर अधिकांश परिवार के लोग शौचालय से वंचित है जो पैसे के अभाव में शौचालय का निर्माण नही करवा पा रहे हैं जिसके कारण बाहर शौच करने को विवश होना पड़ता है। वार्ड के लोगों को अबतक प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं मिल सका है जिस के चलते लोग बांस बल्लियों के झोपड़ियों में अपना जीवन यापन करने को मजबूर है।


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