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सृजन घोटाला : जिला परिषद के केस की सुनवाई 25 नवंबर को, BOB पर किया गया है मनी सूट

Srijan scam Bhagalpur भागलपुर में लगातार सृजन घोटाले की जांच चल रही है। लेकिन इस मामले के मुख्‍य आरोपी अभी तक फरार हैं। 79 करोड़ की वसूली के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा पर किया गया है मनी सूट। इंडियन बैंक पर भी जिला परिषद करा चुका है मनी सूट।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 09:20 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 09:20 AM (IST)
सृजन घोटाला : जिला परिषद के केस की सुनवाई 25 नवंबर को, BOB पर किया गया है मनी सूट
अगस्त 2017 में सृजन घोटाला का मामला भागलपुर में उजागर हुआ था

भागलपुर, जेएनएन। Srijan scam Bhagalpur : सृजन घोटाला में जिला परिषद की ओर से बैंक ऑफ बड़ौदा पर दायर केस की सुनवाई 25 नवंबर को होगी। जिला परिषद ने 79 करोड़ रुपये की वसूली के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा पर मनी सूट दाखिल किया है। तीन वर्ष बाद बैंक ऑफ बड़ौदा पर पिछले महीने मनी सूट किया गया था। जिला परिषद की ओर से इंडियन बैंक से 39 करोड़ 97 लाख 65 हजार 372 रुपये की वसूली के लिए भी मनी सूट दाखिल किया गया है। इसकी सुनवाई की तिथि अभी तय नहीं हुई है।

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 नीलामपत्र वाद की सुनवाई 27 को

डीआरडीए ने सृजन घोटाले में की गई राशि की वसूली के लिए बैंकों के खिलाफ नीलामपत्र वाद दाखिल किया है। इसकी सुनवाई 27 नवंबर को नीलामपत्र पदाधिकारी सुनील कुमार के यहां होगी। पिछले महीने भी मामले की सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान बैंक की ओर से अधिवक्ता केशव झा ने लेन-देन का ब्योरा और बैंक काउंटर की जमा पर्ची की पावती उपलब्ध कराने की मांग की थी। इस पर डीआरडीए की ओर से बैंकों को कहा गया कि भारत सरकार की संवैधानिक इकाई प्रधान महालेखाकार (लेखा परीक्षा) की रिपोर्ट के आधार पर नीलामपत्र वाद दायर किया गया है। महालेखाकार की रिपोर्ट बैंकों को उपलब्ध कराया जा चुका है। बैंकों की ओर से जो कागजात मांगे गए हैं, उसका नीलामपत्र वाद से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी बैंकों द्वारा जो कागजात मांगे गए हैं, उसे सीबीआइ ने जांच करने के लिए सीज कर लिया है। सीबीआइ द्वारा कागजात लौटाए जाने के बाद बैंकों को उपलब्ध करा दिया जाएगा। डीआरडीए ने इंडियन बैंक के विरुद्ध 49 करोड़ 64 लाख रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा के विरुद्ध 40 करोड़ 18 लाख रुपये वसूली के लिए नीलामपत्र वाद दाखिल किया है।

अगस्त 2017 में हुआ था घोटाला उजागर

अगस्त 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के एक चेक को बैंक ने वापस कर दिया था। बैंक ने कहा था कि खाते में पर्याप्त रुपये नहीं हैं। इसके बाद डीएम ने जांच के लिए कमेटी बनाई। जांच में पता चला कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा स्थित सरकारी खातों में रुपये नहीं हैं। इसकी जानकारी राज्य सरकार को दी गई है। इसके बाद घोटाले की परतें खुलनी शुरू हो गई। 21 सौ करोड़ रुपये के गबन का मामला उजागर हुआ।

सरकारी राशि की होती थी हेराफेरी

कई सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय खातों में न जाकर, सृजन महिला विकास सहयोग समिति के छह खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी। फिर इस एनजीओ के कर्ताधर्ता जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी राशि की हेराफेरी करते थे।


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