कोई इनकी भी सुन लो! आर्थिक तंगी से गुजर रहे बिहार के फुटबाल चैंपियन, मजदूरी कर हो रहा भरण-पोषण
फुटबाल चैंपियन खिलाड़ी को उम्मीदें थीं कि वे बिहार के लिए खेलेंगे और वे इसके लिए दिन रात मेहनत भी कर रहे थे। कई स्टेट लेवल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और जीत दर्ज करते हुए नाम भी कमाया। लेकिन अब ये खिलाड़ी बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं।
जागरण संवाददाता, ठाकुरगंज (किशनगंज)। कोरोना काल में राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले खिलाड़ियों की जिंदगी बदल गई है। खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को दबाकर आर्थिक तंगी से निपटने के लिए अब मजदूरी कर रहे हैं। कोई खेत में हल चलाकर धान रोप रहा है, तो कोई मवेशी पालन के लिए घास काटने को मजबूर हैं। राज्य स्तर पर जिला सहित ठाकुरगंज प्रखंड का नाम करने वाला फुटबाल चैंपियन खिलाड़ी श्रीराम सोरेन और जयराम मुर्मू मजबूरी में मजदूरी करने को विवश हैं।
प्रखंड के भतगांव पंचायत के बन्दरबाड़ी गांव के रहने वाले दोनों फुटबाल खिलाड़ी आर्थिक तंगी के विवशता का एक उदाहरण है, जो कोरोना काल में आर्थिक तंगी और सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिलने पर आज अपनी प्रतिभा को दबाकर मेहनत मजदूरी कर रहे हैं। मजदूरी कर रहे दोनों खिलाड़ी का फुटबाल खेल में एक बड़ा नाम है। दोनों राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली संतोष ट्राफी, सुब्रत कप तथा पटना मोइनुल हक स्टेडियम में आयोजित राज्य स्तरीय फुटबाल प्रतियोगिता भाग लेकर अपने प्रतिभा कौशल का प्रदर्शन कर प्रखंड, जिला व राज्य का नाम रोशन किया है।
आज यह प्रतिभावान खिलाड़ी अभावों में जीने को मजबूर हैं। खिलाड़ियों की ओर से लगातार सरकार से गुहार लगाई जा रही है कि उनकी ओर सरकार ध्यान दें और जो योजनाएं चल रही है उन योजनाओं का लाभ जल्द से जल्द उन्हें मिले। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम उठाया नहीं जा सका है। ये राज्यस्तरीय खिलाड़ी भुखमरी की कगार पर हैं। कोरोना काल से पूर्व ये दोनों खिलाड़ी पश्चिम बंगाल की बड़ी-बड़ी टीमों के हिस्से भी थे और व्यवसाय के रूप में प्रतियोगिता में भाग लेकर एक अच्छी खासी रकम भी अर्जित करते थे, पर कोरोना के कारण फुटबाल प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं होने से इसकी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
आर्थिक रूप से कमजोर होने के साथ-साथ शारीरिक क्षमताओं में भी गिरावट आ रही हैं। जबकि खेल कोटे से इन दोनों खिलाड़ियों ने बिहार पुलिस में भर्ती के लिए आवेदन भी दिए पर न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की आर्हता को पूरी की पर खेल कोटे से आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से इन प्रतिभावान खिलाड़ियों का चयन नहीं हो सका। खिलाड़ी ने बताया कि एक साल से अधिक समय से कोरोना संक्रमण के कारण उसे खेल खेलने का मौका नहीं मिला है। सरकार भी किसी योजना का लाभ नहीं दे रही है जिस कारण मजदूरी करना ही रास्ता बचा है।