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एसएनसीयू में इलाज से ज्यादा बच्चे होते हैं रेफर

भागलपुर। लोकनायक जयप्रकाश नारायण सदर अस्पताल परिसर में स्थित स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू)

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jun 2018 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 07:00 AM (IST)
एसएनसीयू में इलाज से ज्यादा बच्चे होते हैं रेफर
एसएनसीयू में इलाज से ज्यादा बच्चे होते हैं रेफर

भागलपुर। लोकनायक जयप्रकाश नारायण सदर अस्पताल परिसर में स्थित स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) बीमार नवजातों को रेफर करने भर के लिए ही रह गया है। 15 महीनों में 315 नवजातों में 82 नवजातों को रेफर किया जा चुका है। वहीं 23 नवजातों को परिजन बिना छुट्टी मिले अस्पताल से लेकर चले गए। तकरीबन 70 लाख की लागत से खोले गए एसएनसीयू में 1000 ग्राम के नवजात का इलाज उपकरण के अभाव में नहीं किया जाता।

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आठ फरवरी 2017 को एसएनसीयू खोला गया, उद्घाटन तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा किया गया था। सदर अस्पताल में जन्म लिए बच्चे अगर बीमार हैं तो उन्हें जेएलएनएमसीएच रेफर करने से बचने के लिए सदर अस्पताल परिसर स्थित एसएनसीयू की स्थापना की गई थी। जिले के स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों को यह निर्देश भी दिया गया कि नवजात अगर बीमार हैं तो उन्हें एसएनसीयू रेफर करें। लेकिन कई स्वास्थ्य केंद्रों के बीमार बच्चों को रेफर न कर निजी क्लीनिक भेजा जा रहा है। यही कारण है कि 15 माह में मात्र 315 नवजातों को भर्ती किया गया।

25 लाख के हैं उपकरण

नवजात चिकित्सा इकाई में तकरीबन 25 लाख के उपकरण लगाए गए हैं। इनमें 13 रेडियेंट वार्मर, चार फोटोथेरापी और सात ऑक्सीमीटर लगाए गए हैं। शून्य से 28 दिनों तक के बीमार बच्चों का इलाज किया जाता है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार के मुताबिक अधिकांश नवजात की मृत्यु जन्म के बाद सांस नहीं लेने, जॉडिंस होने आदि कारणों से होती है। रेडियंट वार्मर से नवजात को गर्मी दी जाती है, जॉडिंस से पीड़ित नवजात को फोटोथेरापी देकर ठीक किया जाता है। वहीं ऑक्सीमीटर से यह पता लगाया जाता है कि नवजात के ब्रेन में कितना ऑक्सीजन जा रहा है या धड़कन की स्थिति क्या है।

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कोट :

स्वास्थ्य केंद्रों से बीमार नवजातों को एसएनसीयू भेजा जा रहा है। गत माह की तुलना में नवजातों की संख्या भी बढ़ी है।

डॉ. बीके सिंह, अधीक्षक, सदर अस्पताल


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