Move to Jagran APP

स्मार्ट सिटी की तीन माह बची मियाद, धरातल पर नहीं दिखा काम

शहर को स्मार्ट देखने का सपना अब धरा रह जाएगा। क्योंकि तीन माह बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मियाद समाप्त हो रही है। चार वर्ष तक अधिकारियों के बीच नूराकुश्ती व ना समझी की वजह से कोई भी प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 02:12 AM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 02:12 AM (IST)
स्मार्ट सिटी की तीन माह बची मियाद, धरातल पर नहीं दिखा काम
स्मार्ट सिटी की तीन माह बची मियाद, धरातल पर नहीं दिखा काम

भागलपुर [संजय कुमार सिंह]

loksabha election banner

शहर को स्मार्ट देखने का सपना अब धरा रह जाएगा। क्योंकि तीन माह बाद स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मियाद समाप्त हो रही है। चार वर्ष तक अधिकारियों के बीच नूराकुश्ती व ना समझी की वजह से कोई भी प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरा। चार साल में महज 60 करोड़ रुपये की दो परियोजनाएं ही शुरू हो पाई थीं। बाद में नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसकी कमान अपने हाथों में ली। देर से ही सही लेकिन कुछ काम होना शुरु हुआ। लेकिन समय कम है इसलिए कई प्रोजेक्ट अधूरे ही रह जाएंगे। फिलहाल, कंट्रोल एंड कमांड, सैंडिस कंपाउड का सुंदरीकरण, सात सरकारी और शैक्षणिक संस्थानों में सौर ऊर्जा, टॉउन हाल के नवनिर्माण काम चल रहा है।

वर्ष 2017 में बिहार का पहला स्मार्ट सिटी में भागलपुर का चयन हुआ। चयन होने के बाद तत्कालीन नगर आयुक्त अवनीश कुमार और प्रमंडलीय आयुक्त अजय कुमार चौधरी ने स्मार्ट सिटी कंपनी का गठन किया। कंपनी गठन के कुछ दिन बाद प्रमंडलीय आयुक्त सेवानिवृत हो गए और नगर आयुक्त का स्थानांतरण हो गया। कंपनी के गठन में ही एक वर्ष बीत गया। इसके बाद नगर आयुक्त श्याम बिहारी मीणा आएं। करीब एक साल उन्हें कार्य समझने में बीत गया। इसके बाद उनका विवाद प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार से हो गया। दो साल तक कुछ भी काम नहीं हुआ। कई कंपनियां आई लेकिन किसी को काम का टेंडर नहीं मिला। विवाद में ही पौने चार बीत गए। फिर प्रमंडलीय आयुक्त वंदना किनी आई। उन्होंने स्मार्ट सिटी को धरातल पर उतारने की कोशिश जारी की। कुछ कंपनियों के टेंडर हुए। काम शुरु ही हुआ तभी स्थानीय स्तर पर घटिया सामग्री का प्रयोग किए जाने का मुद्दा उठ गया। जमकर वाद-विवाद हुआ। मामला सरकार तक पहुंचा। सरकार के स्तर पर स्मार्ट सिटी के कार्यो की समीक्षा हुई। पता चला कि कार्य की गति बहुत धीमी है। सरकार ने तत्काल स्मार्ट सिटी की जिम्मेदारी नगर विकास एंव आवास विभाग के सचिव को दे दी। उसके बाद काम में तेजी आई। कुछ काम धरातल पर दिखना शुरु हो गया।

जब शहर का स्मार्ट सिटी में चयन हुआ तो विकास के लिए 382 करोड़ राशि आवंटित हुई। राशि आवंटन के बाद करीब 24 करोड़ की खरीददारी हुई। शेष राशि बैंक में रखी रही। बैंक में राशि का ब्याज करीब 18 करोड़ हो गई। इधर, नगर विकास विभाग को विकास कराने का जिम्मा मिला तब 270 करोड़ का टेंडर फाइनल हुआ। यह माना जा रहा है मियाद पूरी होने के बाद कई काम अधूरे रह जाएंगे। फिलहाल यहां इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर में सॉफ्टवेयर और कैमरा के लिए टेंडर निकाला गया है। भैरवा तालाब का डीपीआर तैयार है। जनसुविधा केंद्र को लेकर डीएम जगह चिह्नित कर रहे हैं। सबसे बड़ी चुनौती आखिरी के तीन माह में आवंटित राशि खर्च करनी है। अभी बूढ़ानाथ घाट का सुंदरीकरण, स्मार्ट सड़क तथा अन्य कार्यो पर संकट हो सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.