Smart City: अब कैमिकल डोजिंग कर गंगा में गिरेगा नाले का पानी, जानिए...
Smart City -शहर के चार स्थानों पर नाले के पानी का ट्रीटमेंट होगा। इसके लिए काम शुरू हो गया है। बरारी से नाथनगर तक नदी के पानी की गुणवत्ता अभी बहुत खराब है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की टीम ने सैंपल लिया है।
भागलपुर, जेएनएन। शहर में गंगा से मिलने वाली प्रदूषित धारा को निर्मल गंगा बनाने को लेकर प्रयास जारी है। शहरी क्षेत्र के नालों के पानी से नदी प्रदूषित हो चुकी है। ऐसे में गंगा में शुद्ध पानी गिरेगा। इस पानी को रोकने के लिए कैमिकल डोजिंग की व्यवस्था की गई है। शहर के चार प्रमुख नाले का पानी बायो कैमिकल से डोजिंग कर गंगा नदी में पानी गिरेगा। गंगा में अभी 45 एमएलडी नालों का पानी गिरता है।
भागलपुर की गंगा में मिलने वाली प्रदूषित पानी की जांच को शुक्रवार तक दो दिवसीय दौरे पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की टीम पहुंची। नालों के पानी से लिया सैंपल सैंपल में पता चला कि चंपा पुल से बरारी पुल घाट तक पानी नहाने योग्य नहीं है। इसमें हानिकारक वैक्टेरिया की मात्रा अधिक है। पानी में 500 के बदले 22 हजार तक हानिकारक वैक्टेरिया मौजूद है। इसमें क्लोफाम व फिकलकली फाम के साथ मल-मूत्र का वैक्टेरिया मात्रा अधिक है। बरारी से लेकर नाथनगर के बीच नदी में घरेलू व होटल का कचरा, सीवेज, मल-मूत्र, सोडा व ब्लीचिंग की मात्रा अधिक हैं। बिना ट्रीटमेंट के इस पानी का सेवन कर जीवन को खतरे में डालेंगे।
राज्य प्रदूषण बोर्ड के जूनियर रिसर्च फेलो ने शशांक कुमार व ग्रीवांस अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि गंगा की मुख्य धार निर्मल है। गंगा में चार मिलीग्राम प्रति लीटर न्यूनतम होना चाहिए, वहां नौ मिलीग्राम आक्सीजन मिल रहा है। जो डॉल्फिन व जल जीवों के लिए वरदान है।
कैमिकल डोजिंग से मिलेगा फायदा
शहर में प्रयोग के तौर चार प्रमुख नालों पर कैमिकल डोजिंग की व्यवस्था होगी। चंपानगर के दो नालों, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर व कोयला घाट पर कैमिकल डोजिंग उपकरण लगाने पर मुंबई की केरोन कंपनी ने कार्य शुरू कर दिया है। कंपनी के प्रतिनिधि ने बताया कि नदी के मुहाने पर प्लांट लगाया जा रहा है। ताकि हानिकारक वैक्टेरिया को बायो बिजर्ड बायोलॉजिकल कंपाउंड विधि से रोका जा सके। नाले की धार को चार स्थानों पर छोटा बांध बनाकर तोड़ा जा रहा है। इससे काफी हद तक गंदगी को जलप्रवाह में जाने से रोका जाएगा। नदी तट से 15 फीट की दूरी पर 500 लीटर के टंकी रखा रखा जाएगा। जिसमें 15 लीटर बायो बिजर्ड बायोकैमिकल डाला जाएगा। जो नाले के पानी में बूंद-बूंद गिरता रहेगा। इससे पानी में मौजूद गाद व माइक्रो वैक्टेरिया समाप्त हो जाता है। और पानी में आक्सीजन को बनाए रखेगा।
केंद्र सरकार को भेजी जाएगी रिपोर्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोलकाता और राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के दस सदस्यीय टीम ने नाले के पानी का सैंपल संग्रह किया। कोयला घाट, खरमनचक, सखीचंद घाट, सुर्खीकल व बरारी पुल घाट पर गिरने वाले नाले के पानी का सैंपल एकत्रित किया। पानी में मौजूद सूक्ष्म जीव, आयरन, हैवी मेटल, सीओडी, डीओडी की मात्रा के लिए अलग-अलग सैंपल लिया गया। यह रिपोर्ट नमामि गंगे के साथ केंद्र व राज्य सरकार को भेजी जाएगी। जिसके आधार पर सरकार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर अहम निर्णय लेगी।
एसटीपी पर शुरू नहीं हुआ कार्य
एनजीटी के आदेश पर नमामि गंगे ने पानी की गुणवत्ता जांच को लेकर विशेष अभियान चला रखा है। शहर मे भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर 254 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिया गया। इसकी शिलान्यास भी साहेबगंज के पुराने ट्रीटमेंट प्लांट में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी 2019 अप्रैल में कर चुके हैं। प्लांट में बेहतर तरीके से शोधन हो, इसके लिए पानी में मौजूद वैक्टेरिया व हैवी मैटल की मात्रा की जानकारी वैज्ञानिक जुटा रहे हैं। इसके अनुरूप ही संयंत्र लगाए जाएंगे। फिलहाल यह योजना निविदा के पेंच में उलझा हुआ है।
नदी में गिरता है नाला
चंपानगर से लेकर बरारी के बीच शहर के छोटे-बड़े 80 नालों का पानी गिरता है। इसमें सबसे अधिक बुनकर बाहुल्य क्षेत्र के रंगाई व कैमिकल युक्त पानी गिरता है। जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो गया है।
नदी के पानी का होता है शोधन
शहर के नालों का पानी नदी में सीधे गिरता है। इस पानी को ही बरारी वाटर वक्र्स में शोधन कर 12 वार्डों में आपूर्ति होती है। इसमें ब्लीचिंग, चूना व फिटकरी का इस्तेमाल होता है। जलशोधन के बाद अवशेष को नदी में बहा दिया जाता है। जिससे ब्लीचिंग का मात्रा बढ़ रही है।