भागलपुर में वाटर हार्वेस्टिंग की धीमी रफ्तार, निगम कार्यालय परिसर में पिट बनने के बाद भी नहीं हो रहा काम
भागलपुर में वाटर हार्वेस्टिंग की रफ्तार धीमी है। जबकि शहर में जल संकट के लिए सरकार जल जीवन हरियाली अभियान के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य कर दिया है। इसके बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। शहरी क्षेत्र में भूगर्भ जलस्तर के गिरने का सिलसिला जारी है। पिछले तीन दशक में जहां 40 फीट के भूगर्भ में पानी मिला करता था वहां गर्मी के दिनों में 130 फीट तक गहराई में पहुंच जाता है। इसके बाद भी भूगर्भ में जल संचय के प्रति सजग नहीं है। ऐसे में इस मानसून की बारिश में भी जल संचय नहीं होकर सीधे नदी व तालाबों में प्रवाहित हो रही है।
दरअसल शहरी क्षेत्र में जल संचयन की जिम्मेदारी नगर निगम को दी है। लेकिन नगर निगम में दो वाटर हार्वेङ्क्षस्टग पिट बदहाल स्थिति में है। करीब 22 हजार रुपये एक पिट पर खर्च किया गया। लेकिन, निर्माण के एक वर्ष बाद भी पिट से निगम कार्यालय के छत और परिसर के पानी का संचय करने के लिए पाइप नहीं जोड़ा गया है।
जबकि शहर में जल संकट के लिए सरकार जल जीवन हरियाली अभियान के तहत रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम लगवाना अनिवार्य कर दिया है। बावजूद चापाकल, प्याऊ और सरकारी संस्थानो के साथ शैक्षणिक संस्थानों में वाटर हार्वेङ्क्षस्टग पिट निर्माण कार्य धीमा गति से चल रहा है। शहरी क्षेत्र के 76 हजार घरों को लाभ मिलेगा। अधिकांश घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण नहीं कराया जाएगा। जबकि अनुपालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई के साथ निगम प्रशासन भवन परिसर को सील का अधिकार निगम को है।
नगर निगम ने अब तक बनाया हार्वेस्टिंग पिट
नगर निगम ने जल जीवन हरियाली योजना के तहत शहरी क्षेत्र में करीब 80 वाटर हार्वेङ्क्षस्टग पिट का निर्माण कराया है। इसमें से 63 चापाकल और प्याऊ में पिट निर्माण कार्य हुआ है। निगम कार्यालय, रैन बसेरा, वृद्धाश्रम आदि सात भवन परिसर में पिट निर्माण किया है। वहीं लाजपत पार्क, बरारी वाटर वक्र्स समेत खुले मैदानों में नौ स्थानों में पिट निर्माण का कार्य कराया। लेकिन पिछले एक वर्ष से करीब 120 स्थानों पर पिट निर्माण की फाइल निगम अधिकारी के टेबल पर लंबित है। जबकि शहर में 700 चापाकल और 350 के करीब प्याऊ है। इनमें से सिर्फ 63 स्थानों पर कार्य हुआ। शेष अभी लंबित हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में 50 कुआं का जीर्णोद्धार सहित सोखता का निर्माण कार्य नहीं हुआ। नतीजा भूगर्भ के बदले इन जल स्रोत का पानी नाले के माध्यम से नदी में गिर रहा।
भवनों की तैयार होगी सूची
कार्यालय व स्थानीय स्तर पर 15 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले या 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल भवन परिसर को विशेष दायरे में लाया गया है। इसमें व्यवसायिक भवनों, शैक्षणिक संस्थानों, कोङ्क्षचग, नर्सिग होम, अस्पताल, सिनेमा हॉल, शॉङ्क्षपग मॉल व अपार्टमेंट की सूची तैयार की जाएगी। इसके साथ भूस्वामी को नोटिस देकर वाटर हार्वेङ्क्षस्टग पर कार्य नहीं हुआ। 500 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्रफल के छत वाले 457 भवनों को गूगल मैप व जीआइएस बेस मैप के आधार पर विभाग ने चिह्नित कर निगम को एक वर्ष पहले सूची सौंपी थी। चिह्नित भवनों के भूस्वामी को भवन परिसर में सिस्टम की व्यवस्था के लिए नोटिस भेजना था पर ऐसा नहीं हुआ।
रिचार्ज पिट का होगा निर्माण
सभी भवनों व निर्माणाधीन भवनों में रैन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग की व्यवस्था अनिवार्य है। इसके लिए प्रत्येक 100 वर्ग मीटर की छत क्षेत्र के लिए न्यूनतम छह घन मीटर का रिचार्ज पिट तैयार किया जाना है। जिसे छोटे-छोटे कंकड़ों से या ईट की जाली से या नदी के बालू से भरा जाना है। कंक्रीट स्लैब से ढंका जाना है।
नगर निगम कार्यालय का वाटर हार्वेङ्क्षस्टग पिट कार्य कर रहा है। जल संचय की व्यवस्था पर निरंतर कार्य हो रहा है। वर्तमान में कार्य की प्रगति धीमी है। लेकिन जहां भी चिन्हित स्थल है वहां वाटर हार्वेङ्क्षस्टग पिट का निर्माण कराया जाएगा। - प्रफुल्ल चंद यादव, नगर आयुक्त