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UPSC : भागलपुर के श्रेष्ठ अनुपम को 19वीं रैंक, आइएएस बन पिता के सपनों को किया जीवंत

UPSC Result 2020 सेंट जोसेफ स्कूल से 10वीं की परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त किया था दूसरा स्थान एसकेपी विद्या विहार स्कूल से इंटर में रहा था जिला टॉपर।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 05:33 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:03 PM (IST)
UPSC : भागलपुर के श्रेष्ठ अनुपम को 19वीं रैंक, आइएएस बन पिता के सपनों को किया जीवंत
UPSC : भागलपुर के श्रेष्ठ अनुपम को 19वीं रैंक, आइएएस बन पिता के सपनों को किया जीवंत

भागलपुर, जेएनएन। बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी रहे भागलपुर गुरुद्वारा रोड़ निवासी श्रेष्ठ अनुपम ने आइएएस बन अपने पिता के सपनों को जीवंत बनाने में कामयाबी हासिल की है।

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वे मूल रूप से बरियारपुर गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 2012 में सेंट जोसेफ स्कूल से आइसीएसई बोर्ड दसवीं की परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया था। एसकेपी विद्या विहार से सीबीएसई बोर्ड 12वीं की परीक्षा में भी जिला टापर रहे थे। इसके बाद इन्होंने 2018 में आइआइटी दिल्ली से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। अपने दूसरे सफलतम प्रयास में ही इन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित यूपीएससी की परीक्षा में 19वां रैंक प्राप्त कर देशभर में अपने राज्य और जिला का नाम रोशन किया।

अनुपम अपने सफलता का पूरा पूरा श्रेय ईश्वर के साथ माता-पिता को दिया है।

उन्होंने कहा मेरे पिता दिलीप कुमार अमर दिल्ली विवि से पढ़ाई पूरी कर सिविल सेवा में जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। कहीं न कहीं मैंने अपने ईमानदार प्रयास से पिता सपनों को पूरा करने सफलता पाई है। उन्होंने कहा कि पीरपैंती निवासी मेरे मामा रामकृष्ण केडिया 2008 बैच के आइएएस हैं। बहरहाल वे कोलकाता में इनकम टैक्स कमिश्नर हैं। उनसे भी हमें प्रेरणा मिली।

प्लेसमेंट की नहीं की तैयारी

इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद कभी नौकरी की तलाश नहीं की। कोई प्लेसमेंट की तैयारी नहीं की। लक्ष्य यूपीएससी परीक्षा पर केंद्रीत था। इस ओर जाने की प्रेरणा पिता से मिली। उन्होंने भी पढ़ाई के दौरान यूपीएससी की परीक्षा दी थी। सफल तो नहीं हो पाए, पर उनके अनुभव का मुझे लाभ मिला। वे हमेशा मुझे गाइड करते रहते थे। माताजी भी यूपीएससी की परीक्षा देना चाहती थी। पर अपरिहार्य कारणवश नहीं दे पाई।

माता-पिता करते हैं एनजीओ में काम

अनुपम ने बताया की उनके माता-पिता एक एनजीओ में काम करते हैं। बड़ी बहन कार्मेल स्कूल की टॉपर रही है। उन्होंने भी मेरे ही साथ आइआइटी जेईई की परीक्षा पास की थी। वे आइआइटी धनबाद से कंम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल कर वीजा इंटरनेशनल बंगलुरू में कार्यरत हैं।

निरंतरता और परिश्रम सफलता का मूल मंत्र

अनुपम ने अपना अनुभव शेयर करते हुए युवाओं से कहा कि निरंतरता और परिश्रम सफलता का दो मूल मंत्र है। इसे जीवन में गांठ बांध कर रखने की जरूरत है। सफलता और असफलता से कभी हताश नहीं होना चाहिए। कभी-कभी सफलता देर से आती है। पर प्रयास में कमी न रखें। आत्मबल बनाए रखें। बेसिक की अच्छी तरह तैयारी करें। उत्तर लिखने का अभ्यास करें। व्यक्तित्व विकास के लिए मॉक इंटरव्यू करें। प्रत्येक दिन आठ घंटे की नियमित तैयारी और अभ्यास करें। सफलता अवश्य मिलेगी।


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