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श्रावणी मेला 2021: कच्ची कांवरिया पथ के विकास कार्यों पर लगा ग्रहण, करोड़ों के आवंटन से हुआ था कार्य

श्रावणी मेले पर फिलहाल संशय बरकरार यदि सरकार करें विचार तो भी मुश्किल है कांवरियों की डगर। करोड़ों के आवंटन से हुआ था कार्य पिछले साल मेला नहीं लगने से सबकुछ हो गया बदहाल। कांवरिया पथ पर अतिक्रमण सूखे चापा नल।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 03:18 PM (IST)Updated: Fri, 02 Jul 2021 03:18 PM (IST)
श्रावणी मेला 2021: कच्ची कांवरिया पथ के विकास कार्यों पर लगा ग्रहण, करोड़ों के आवंटन से हुआ था कार्य
टूट गए जल मीनार, क्षतिग्रस्त हो गए शौचालय। पर्यटन विभाग की ओर से लगाई गई कुर्सी भी हो गई जर्जर।

संवाद सूत्र, सुल्तानगंज (भागलपुर)। सुल्तानगंज प्रखंड क्षेत्र में श्रावणी मेला को लेकर कच्ची कांवरिया पथ पर कराए गए विकास कार्यों पर ग्रहण लग गया है। कांवरियों की सुविधा के लिए भागलपुर जिले के अंतिम छोर सहित पूरे मार्ग पर पर्यटन विभाग द्वारा कई कार्य कराए गए। कांवरियों की सेवा के लिए कांवर स्टैंड, बैठने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से बेंच लगाए गए। पर देखरेख और रखरखाव के अभाव में वे जर्जर हो गए। कई जगह इसका निजी इस्तेमाल किया जा रहा है।

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जर्जर हो गया है कांवरिया पथ

बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की पहली लहर के कारण श्रावणी मेला के आयोजन पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी थी। जिस कारण कच्ची कांवरिया पथ सहित श्रावणी मेले से जुड़े कार्य नहीं हो सके। जिसकी वजह से कच्ची कांवरिया पथ जर्जर हो चुकी है। ऐसे में सरकार मेले के आयोजन पर विचार भी करती है तो कांवरियों को परेशानी से गुजरना होगा।

कच्ची कांवरिया पथ चलने लायक नहीं रह गया है। जगह-जगह स्थानीय लोगों ने मवेशियों को बांध रखा है। छोटी-बड़ी झोपडिय़ां बनाकर पथ को अतिक्रमित कर लिया है। पिछले वर्ष मेला नहीं लगने के कारण कांवरिया पथ पर मेंटेनेंस का कार्य भी नहीं हो सका। जिससे पथ की हालत और खराब हो गई है। जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं। बारिश के बाद जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बालू बह जाने के कारण पूरा पथ कीचड़ मय हो गया है।

पीएचडी विभाग द्वारा कांवरिया पथ पर कांवरियों की सुविधाओं के लिए जगह-जगह शौचालय का निर्माण कराया गया था। पर वर्तमान में सभी की हालत खराब हो चुकी है। शौचालय के गेट को चोर लेकर चले गए। शौचालय की सीट को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। हर वर्ष कांवरिया पथ पर बनने वाले शौचालय के लिए विभाग राशि आवंटित करती है। बावजूद इसके शौचालय की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पाई है। ग्रामीणों ने बताया कि गुणवत्ता की कमी के कारण मेला खत्म होते-होते शौचालय की स्थिति जर्जर हो जाती है। शुद्ध पेयजल, जल मीनार, झरने और प्याऊ की व्यवस्था भी गुणवत्ता की कमी के कारण दम तोड़ दे रही है।

कांवरियों को परेशानी ना हो इसके लिए मुलायम बालू कमरिया पथ पर बिछाई जाती है। पर काम में खानापूरी किए जाने के कारण हर बार पथ की स्थिति बिगड़ जाती है। मिट्टी युक्त बालू को किसी तरह बिछाकर चलने लायक बना दिया जाता है। लिहाजा हल्की बारिश में ही बालू बह जाता है और मिट्टी बच जाती है। कीचड़ से कांवरियों को चलने में परेशानी होती है।


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