श्रावणी मेला 2021: इस बार मात्र 29 दिनों का होगा सावन, इन दिन से शंकर भगवान की होगी विशेष पूजा अर्चना
श्रावणी मेला 2021 इस बार 25 जुलाई से सावन माह शुरू हो रहा है। 29 दिन का सावन माह है। चार सोमवारी होगी। सावन माह भगवान शिव के विशेष महत्व का है। इस माह शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। व्रतियों पर बाबा भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
संवाद सहयोगी, भागलपुर। श्रावणी मेला 2021: सावन का पावन महीना इस बार 25 जुलाई रविवार से शुरू होगा। इस बार सावन माह 29 दिनों का है। देवाधिदेव बाबा भोलेनाथ के उपासना का महीना दो तिथि के एक ही दिन समायोजित हो गया है। 22 अगस्त रविवार को सावन माह समाप्त होगा। खास बात यह है कि रविवार से आरंभ होने वाला सावन रविवार को ही समाप्त होगा। सावन की सबसे ज्यादा अध्यात्मिक महत्व रखने वाला दिन सोमवार है। इस बार चार सोमवार ही होगा। अर्थात यूं कहें कि कोरोना काल को देखते हुए भगवान शिव कम समय में ही भक्तों की फरियाद सुनेंगे। पहला सोमवारी 26 जुलाई, दूसरा 02 अगस्त, तीसरा 09 अगस्त और चौथा 16 अगस्त को है। श्रावण मास के सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माने जाते हैं।
सोमवारी का महत्व
सावन माह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। स्कंद पुराण की एक कथा के अनुसार देवी सती ने हर जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने का प्रण लिया था। पिता के खिलाफ होकर उन्होंने शिव से विवाह किया लेकिन अपने पिता द्वारा शिव को अपमानित करने पर उसने शरीर त्याग दिया। उसके पश्चात माता सती ने हिमालय और नैना पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। इस जन्म में भी शिव से विवाह हेतु इन्होंने श्रावण माह में निराहार रहते हुए कठोर व्रत से भगवान शिवशंकर को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया।
श्रावण माह से ही भगवान शिव की कृपा के लिये सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किये जाते हैं। औघड़दानी शिव की प्रसन्नता और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से सावन सोमवार व्रत रखे जाते हैं। अगर विवाह में अड़चनें आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए। आयु या स्वास्थ्य बाधा हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है। 16 सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम माना गया है। सावन महीने में मुख्य रूप से शिवलिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
सावन महीने में शिव की पूजा करने से भगवान भोलेनाथ की असीम कृपा बरसती है। सावन में शिवजी का पार्थिव पूजन, शिव सहस्त्रनाम का पाठ, रुद्राभिषेक, जलाभिषेक बिल्वपत्र चढ़ाने से इससे आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। भगवान शिव को बिल्वपत्र पतिप्रिय होता है। सावन में 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। समस्त कामनाओं की पूर्ति के साथ घर में नकारात्मक उर्जा दूर होती है।
मान्यता है कि शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। तुलसी का भी प्रयोग भगवान शिवजी की पूजा में नहीं किया जाता है। शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।