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भागलपुरी कतरनी चूड़ा और जर्दालू आम की मुंबई में होगी प्रोसेसिंग, ख्‍याति विदेशों तक

भागलपुरी कतरनी चूड़ा और जर्दालू आम की पहचान देश भर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। भागलपुर के इन उत्पादों को और व्यापक फलक पर ले जाने की कवायद शुरू हो गई है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 07:58 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 07:58 AM (IST)
भागलपुरी कतरनी चूड़ा और जर्दालू आम की मुंबई में होगी प्रोसेसिंग, ख्‍याति विदेशों तक
भागलपुरी कतरनी चूड़ा और जर्दालू आम की मुंबई में होगी प्रोसेसिंग, ख्‍याति विदेशों तक

भागलपुर [अभिषेक कुमार]। जर्दालू आम और कतरनी चूड़ा सिल्क सिटी भागलपुर की पहचान रही है। हाल के वर्षों में इसकी ख्याति क्षेत्र और राज्य की सीमाओं को लांघकर कर विदेशों तक जा पहुंची है। भागलपुर के इन उत्पादों को और व्यापक फलक पर ले जाने की कवायद शुरू हो गई है, लेकिन इस वर्ष कोरोना ने इसकी गति पर ब्रेक लगा दिया।

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सुल्तानगंज के किसान मुंबई में इसकी प्रोसेसिंग पर काम कर रहे हैं। इसके लिए अजगैवीनाथ किसान उत्पाद संगठन बनाया है। इस संगठन ने मुंबई की एक कंपनी के साथ करार भी किया गया है। जर्दालू के पल्प से जूस और अन्य उत्पाद तैयार किए जाने हैं। कोरोना के कारण इस बार आम की आपूर्ति बहुत कम हो सकी। अब ये लोग कतरनी की प्रोसेसिंग के लिए काम कर रहे हैं। कतरनी धान से पोहा और अन्य उत्पाद तैयार कर देश और देश के बाहर इसका निर्यात किया जाएगा। समूह में करीब 150 किसान जुड़े हैं। सभी कतरनी और जर्दालू के उत्पादक हैं। इसमें कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) भागलपुर का बराबर सहयोग मिल रहा है।

रुकेगा पलायन, सामूहिक खेती को मिलेगा बढ़ावा

समूह से जुड़े किसान अनुरंजन सिंह, राहुल देव, उपेंद्र सिंह, अनिल कुमार ने बताया कि मुंबई में कतरनी और जर्दालू की प्रोसेसिंग होने से किसानों को उत्पाद का उचित मूल्य मिल सकेगा। किसानों के पलायन पर रोक लगेगी।  किसानों ने बताया कि अभी छोटे स्तर पर कतरनी की खेती कर रहे हैं, उचित कीमत मिलने से इसे व्यापक पैमाने पर किया जाएगा। इससे सामूहिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। समूह के किसान साथ-साथ मिलकर समृद्धि की कहानी लिखेंगे।

कुंदन के प्रयास से संगठित हुए किसान 

जर्दालू और कतरनी की प्रोसेसिंग शुरू कराने के लिए भागलपुर के सुल्तानगंज निवासी कुंदन पिछले डेढ़ साल से काम कर रहे हैं। रांची के बिरला टेक्निकल संस्थान से बीटेक और बेल्जियम से एमबीए करने वाले कुंदन ने कतरनी और जर्दालू पर काफी शोध किया है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण अभी छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की गई है। जल्द ही दोनों उत्पादों को समूह विदेश भी भेजेगा।

जर्दालू और कतरनी उत्पादक किसानों ने अजगैवीनाथ किसान समूह का गठन किया है। आत्मा की ओर से इन किसानों को हर संभव मदद उपलब्ध कराई जा रही है।

प्रभात कुमार सिंह, उप परियोजना निदेशक, आत्मा, भागलपुर

मुख्‍य बातें

-सुल्तानगंज का अजगैवीनाथ किसान उत्पाद संगठन कर रहा काम, मुंबई की कंपनी से करार

- जर्दालू के पल्प से जूस और अन्य उत्पाद बनाने की तैयारी

- कतरनी धान से पोहा और अन्य सामग्री बनाकर विदेशों में करेंगे निर्यात


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