सीमांचल के दूल्हे के सिर पर सजता है बंगाल का सेहरा, जानिए क्या है खास...
इस माह से लग्न शुरू होने वाला है। ऐसे में सीमांचल के इलाके में सेहरे की मांग बढ गई है। यहां पर बंगाल से सेहरा तैयार कर आता है। स्थानीय थोक व्यवसायियों द्वारा पश्चिम बंगाल के साथ दिल्ली व पटना से सेहरा भी मंगाया जा रहा है।
कटिहार [प्रदीप गुप्ता]। कोरोना काल के बाद लगन की दस्तक के साथ बाजार में रौनक लौटने लगी है। लगन को लेकर व्यवसायी भी अपनी तैयारी में जुट गए हैं। शादी में सेहरा का महत्व किसी से छिपा नहीं है। बाजार में इसकी डिमांड भी रहती है। स्थानीय थोक व्यवसायियों द्वारा पश्चिम बंगाल के साथ दिल्ली व पटना से सेहरा भी मंगाया जा रहा है। सीमांचल के दूल्हों के सिर यही सेहरा सजेगा। इसमें बंगाल से आने वाले सेहरा का डिमांड ज्यादा होता है। थोक बाजार कटिहार से यह सीमांचल व कोसी के बाजारों तक भेजा रजा है।
शादी में सेहरा का है महत्व
सेहरा एक फारसी भाषा का शब्द है जिसे आम हिन्दुस्तानी भाषा ने अब अपना लिया गया है। हिन्दी भाषा में सेहरे को विवाह मुकुट से जाना जाता है। सेहरे में फूलों या सुनहरे रुपहले तारों आदि की बड़ी मालाओं की पंक्ति या पुंज भी सम्मलित होते हैं। आम भाषा में इसे सेहरा, हिन्दी में इसे मुकुट और संस्कृत में इसे किरीट कहा जाता है। बदलते जमाने के साथ सेहरे के डिजाइन में भी बदलाव आया है। 50 रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक में सेहरा बाजार में उपलब्ध है।
क्या कहते हैं थोक बिक्रेता
शादी सेहरा के थोक बिके्ता विनोद भगत ने बताया कि सेहरा की खरीदारी मुस्लिम के साथ हिन्दू समाज में खूब रहती है। पूरे जिले में लगभग एक हजार खुदरा बिक्रेता के माध्यम सेहरा की बिक्री होती है। इसके आलावा पूङ्क्षणया,अररिया,किशनगंज सहित अन्य जगह के रिटेलर दुकानदार सेहरा सहित मुकुट आदि यहां से ले जाते हैं।
बंगाल के फूलों से सजता है शादी का मंडप
जिले में शादी ब्याह को लेकर फूल के ध्ंघे से लगभग जिले में दो सौ लोग जुड़े हुए हैं। वरमाला, स्थल, मंडप, जयमाला, गाड़ी ,गेट आदि बंगाल के फूलो से सजाया जाता है। एक हजार से लेकर दस हजार तक के वरमाला की डिमांड रहती है।