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सुपौल में किसानों के लिए अभिशाप बना है सीपेज, खेती-किसानी छोड़ लोग दूसरे राज्यों में कर रहे मजदूरी

सुपौल में सीपेज का इलाका किसानों के लिए अभिषाप बना हुआ है। इससे सिंचाई सहित अन्‍य सुविधाओं से किसान वंचित है। धीरे-धीरे इस इलाके के किसान खेती किसानी छोड़ कर मजदूरी करने दूसरे प्रदेश पलायन करने लगे हैंैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 04:01 PM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 04:01 PM (IST)
सुपौल में किसानों के लिए अभिशाप बना है सीपेज, खेती-किसानी छोड़ लोग दूसरे राज्यों में कर रहे मजदूरी
सुपौल में सीपेज का इलाका किसानों के लिए अभिषाप बना हुआ है।

सुपौल [विमल भारती]। जिले के उत्तरी-पश्चिमी छोर पर स्थित सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में कोसी पूर्वी तटबंध के 17 वें किलोमीटर पर एक चैनल की खुदाई नहीं होने से हजारों एकड़ जमीन बंजर बनी हुई है। चैनल के बन जाने से कल्याणपुर, सदानंदपुर, पिपराखुर्द, पुरानी भपटियाही, गढिय़ा, सरायगढ़, गंगापुर, चिकनी, चांदपीपर, अंदौली, बैजनाथपुर, थरिया, थरबिटिया, रतनपुरा के लोगों की उपजाऊ जमीन सीपेज से मुक्त हो जाएगी। अभी सिमरी गांव से थरिया गांव तक बाढ़ और सुखाड़ में जलजमाव रहता है। बरसात के दिनों में तो वहांं 03 से 04 फीट तक पानी बहता है। जलजमाव के कारण सुखाड़ में भी ऐसे खेतों में बहुत कम ही जगह पर लोग फसल लगा पाते हैं। उस पर उनकी कटनी का समय आने तक खेतों में सीपेज का पानी भर जाता है। कुछ वर्ष पूर्व सीपेज के पानी से बने इस गंभीर समस्या के निदान के लिए सदानंदपुर गांव के पास कोसी पूर्वी तटबंध से सुपौल उपशाखा नहर के आगे घाघर नदी तक चैनल खुदाई हेतु डीपीआर बनाने की चर्चा हुई थी। लेकिन उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ। सरायगढ़-भपटियाही, किशनपुर तथा सुपौल प्रखंड के कुछ हिस्सों के लिए सीपेज वर्षो से अभिशाप बना हुआ है।

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किसान हैं बेहाल

पूर्वी कोसी तटबंध के सटे क्षेत्र में जितने लोगों की जमीन से सीपेज का पानी बहता है वे लंबे समय से बेहाल हैं। जमीन रहने के बावजूद सैकड़ों किसान अपने खेतों में फसल नहीं लगा पाते। सुखाड़ के समय जब खेतों में मूंग, धान, पाट, गरमा धान लगाते भी हैं तो कटाई के समय तक पानी भर जाता है और फिर लोगों को लागत भी हाथ नहीं लगती है। हालात यह है कि सीपेज प्रभावित खेतों में न तो मछली पालन हो पाता है और ना ही कोई दूसरी खेती। यदि कहीं मछली पालन किया भी जाता है तो वह सारी मछली पानी की तेज धारा में बह जाया करती है। सीपेज के पानी से सबसे बड़ी परेशानी भपटियाही, कल्याणपुर, सरायगढ़, चांदपीपर, जरौली, कुलीपट्टी, कुसहा आदि गांव में देखने को मिल रही है। खेती पर निर्भर रहने वाले लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरी में पलायन करते हैं।

बने चैनल तो मुक्त हो जाएगी जमीन

कोसी पूर्वी तटबंध के गोपालपुर गांव समीप से भपटियाही गांव तक निकल रहे सीपेज के पानी का समाधान कब होगा इस बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं मिल रही है। सदानंदपुर गांव के पप्पू कुमार, पूर्व मुखिया रघुवंश प्रसाद यादव, सूर्यनारायण मेहता, शिवजी मेहता, भपटियाही गढिय़ा के मुनर मेहता, सुखदेव प्रसाद यादव, सियाराम यादव, अच्छे लाल यादव, सरायगढ़ वार्ड नंबर 15 निवासी सत्यनारायण मुखिया, रामसुंदर मुखिया, विजय कुमार, चांदपीपर गांव के लक्ष्मी मंडल, अरुण कुमार यादव, मु. फरमूद आलम, कुशहा गांव के अशोक कुमार यादव, अजय कुमार, प्रमोद कुमार, बैजनाथपुर गांव के ब्रह्मदेव प्रसाद यादव, विपिन कुमार यादव, अंदौली गांव के शफीउर रहमान आदि कहते हैं कि इतनी बड़ी समस्या के प्रति प्रशासन तथा सरकार के लोग उदासीन बने हुए हैं। सीपेज के कारण हजारों परिवार प्रभावित हैं। लेकिन एक चैनल के खुदाई की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है जो दुखद है। लोगों का कहना है कि पूर्वी कोसी तटबंध के 17 किलोमीटर समीप चैनल खुदाई होने से सीपेज का पानी घाघर नदी में जाकर गिरेगा और फिर सभी किसानों की जमीन सीपेज से मुक्त हो जाएगी।


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