आलू और गोभी की गिरती कीमत देख शीतलहर में भी किसानों का छूट रहा पसीना, कैसे दोगुनी होगी आमदनी
सब्जी के गिरते भाव से किसान हैं हलकान। आलू व गोभी के प्रतिदिन गिर रहे दाम से इतनी ठंड में भी उनका पसीना छूट रहा हैा आलू की खेती कोराना के इस संकट काल में किसानों ने महंगे दर पर बीज क्रय कर किया था
जागरण संवाददाता, मधेपुरा । एक तरफ फुलगोभी व बंदगोभी की लगातार गिरती कीमत से सब्जी उत्पादक किसान जहां काफी परेशान हैं। वहीं आलू के गिरते बाजार भाव ने अभी से आलू उत्पादक किसानों को परेशान कर दिया हैा इन दिनों गोभी व आलू के कम भाव से जहां आमलोगों को काफी राहत पहुंची है। वहीं इसके गिरते बाजार भाव को देख अभी से ही किसान फिक्रमंद हैं। उनको अब मुनाफे की बात तो दूर रही उत्पादन लागत लौट पाना भी मुश्किल प्रतीत हो रहा हैा
क्या है खुदरा बाजार भाव
कुछ दिन पूर्व स्थानीय बाजार में गोभी का खुदरा मूल्य जहां 20 रुपए प्रति किलो था। वहीं इन दिनों बाजार में गोभी 20 रुपए में चार किलो बिकने लगा है। वहीं मूली का एक रुपए किलो की दर से भी खरीदार नहीं मिलने से किसानों ने मूली लगे खेतों की जुताई कर उसमें अन्य फसल लगाने की तैयारी में जुट गए हैं। जबकि 40 से 42 रुपए प्रतिकिलो बिकने वाला सदाबहार आलू फिलहाल खुदरा में 10 से 12 रुपये प्रतिकिलो बिकने लगा है। इसके बावजूद प्रत्येक दिन इसकी कीमतों में गिरावट जारी है।
सब्जी उत्पादक किसानों के सूखने लगे हैं हलक
गोभी एवं मूली की काफी कम कीमत रहने के बावजूद भी खरीदार नहीं रहने से कड़ाके की शीतलहर में किसानों के माथे पर पसीना है। स्थिति यह है कि गोभी उत्पादक किसान क्षेत्र के पशुपालकों के मवेशियों के चारा के रूप में काफी कम कीमत पर फुलगोभी व बंदगोभी बेचने को मजबूर हैं। गोभी का हाल-बेहाल देख आलू उत्पादक किसानों के अभी से हलक सूखने लगा है।
क्या कहते हैं आलू उत्पादक किसान
आलू उत्पादक बघवा दियारा निवासी किसान मु.रिजवान उद्दीन, मु.फारूक, मु.इदरीश, सुभाष चन्द्र मेहता, अमरेन्द्र कुमार सिंंंहह, मु.गफ्फार, भटौनी के मु.शब्बीर,कहरटोली के अनोज मेहरा, पुरैनी के विवेक यादव, मुन्ना मेहता, दुहबी- सुहबी के मनोज यादव, गणेशपुर के जयकृष्ण मेहता, भोपाल मेहता, झंडापुर बासा के मनोज मेहता, शैलेन्द्र मेहता, बैकुंठ मेहता, अशोक मेहता, संजय मेहता, मु.अव्वास राही आदि ने बताया कि इस बार काफी महंगी कीमत पर अन्य प्रदेशों से आलू की बीज मंगाकर खेतों में रोपाई की गई है। इस वर्ष आलू के बीज छह हजार रुपए प्रति क्विंटल
क्विंटल की दर से मंगाया गया है। इस स्थिति में प्रति बीघा 70 हजार रुपए से ज्यादा का लागत आया है। अभी प्रखंड क्षेत्र में आलू तैयार भी नहीं हुआ है और अभी से ही बाजार भाव छह से सात सौ रुपया क्विंटल हो गया है। अगर बाजार भाव और गिरा तो ऐसे में खेती में की गई कुल खर्च की बात तो दूर आलू के बीज तक का कीमत निकलना भी मुश्किल हो जाएगा।