'केना संतोष करियै, आब जाल-बच्चा क खिलैतै के'
भागलपुर में सिंचाई विभाग के कर्मचारी संजय की मौत बरारी थाने में हो गई। पुलिस ने हंगामा के बाद पूछताछ के लिए थाना लाया। जहां उसकी पिटाई कर दी। बेटी-बेटे संग बिलाप कर रही संजय की पत्नी गायत्री ने ढाढस बंध रही महिलाओं को व्यक्त की वेदना।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। केना संतोष करियै गे, आब जाल-बच्चा क खिलैतै के... पति की पुलिस हिरासत में हुई मौत बाद विलाप कर रही गायत्री देवी के मुंह से निकली यह वेदना संजय यादव के पूरे परिवार की माली हालत बयां कर दे रही है। दो जवान बेटी और एक बेरोजगार बेटे संग रह-रहकर दहाड़ मार रही गायत्री को मायागंज की महिलाएं घेर रखी हैं। उसकी आंखें अपने अंचरा से पोछ बार-बार यही कह रही थी कि संतोष कर गायत्री अब तो पति लौट कर आने वाला नहीं। अब बाल-बच्चों की जिम्मेदारी का दूना बोझ तुम्हारे उपर आ गया है। संतोष करना होगा। बिलाप कर रही गायत्री बार-बार संतोष करने वाले ढाढस भरे शब्द पर फट पड़ी, उसके जुबां से निकली वेदना, बच्चों के भविष्य और आगे अंधेरा, बेचारी बार-बार कांप कर मूर्छित हो जा रही थी। होश में आते यही कहती अब मोनिका, अंकिता और अनिमेष के जिंदगी केना चलतै, केना पेट भरतै परिवार के।
उनके उपर से पिता का साया उठ गया। उनकी तनख्वाह से घर चलता था। बच्चों की पढ़ाई, घर की गृहस्थी की गाड़ी चल रही थी। गायत्री और उसके बच्चों से संजय की मौत से दुखों के टूटे पहाड़ की भारपाई मुआवजा राशि और नेताओं के मदद दिलाने के आश्वासन से नहीं हो सकता। रंगों-उमंगों के त्योहार में घर में गायत्री ने पूआ-पूरी-सब्जी आदि बनाए थे कि घर आए पति और बच्चों संग खुशी-खुशी होली मनाएंगे। पिता के आगमन की वाट जोह रही बेटियां अपने दरवाजे पर ही खड़ी पिता की राह तक रही थी। घर के अंदर से गायत्री बार-बार बेटियों से पूछ भी लेती थी कि एैलो गे पप्पा... राह देखते सोमवार की शाम गायत्री के पति और बच्चों के पप्पा दरवाजे पर पहुंच तो गए लेकिन घर की दहलीज पर उसके पांव नहीं पड़ सके। संजय को पता भी नहीं था कि उसके आगमन के पहले उसके घर के समीप पासवान टोला और गवाल टोला के लड़्कों के बीच मारपीट हुई है। मारपीट के बाद लड़ाई और बढ़ गई है। वह अपने दरवाजे पर पहुंचा ही था कि दनादन पुलिस की गाडिय़ां पहुंची और उसमें चेहरे पर फीके लाल रंग लिपटे चेहरे में सिटी एएसपी पूरन कुमार झा, आदमपुर थानाध्यक्ष अजय कुमार अजनवी पुलिस बल के साथ उतरे। बरारी थानाध्यक्ष प्रमोद साह भी दूसरी गाड़ी से उतरे और देखते ही देखते पुलिस बल चारों तरफ फैल गया। इसी दौरान घर के दरवाजे पर पहुंचे सिंचईकर्मी संजय को सिटी एएसपी पूरन झा ने पकडऩे का हुक्म दिया। उसे थानाध्यक्ष प्रमोद साह ने पकड़ कर पुलिस की जिप्सी में घसीट कर लाद दिया। सरल स्वभाव के कहे जाने वाले संजय का कभी पुलिस से साबका पड़ा नहीं था। थर-थर कांपने लगे।
गायत्री और उसकी दो बेटी और एक बेटे भी घर से बाहर हो जिप्सी के पास चले गए। निर्दोष संजय को हिरासत में लेने पर रोते-चिल्लाने लगे लेकिन कोई सुना नहीं। परिवार संग संजय, गायत्री, मोनिका, अंकिता, अनिमेष का होली मनाने का सपना चंद मिनटों में चकनाचूर हो गया। फिर तो आपाधापी मच गई। कभी थाने की तरफ संजय का परिवार जाता तो कभी मायागंज में संजय की हिरासत से आक्रोशित हो जमा हुए लोगों के बीच जाने में समय बीत गया। दो-घंटे में यह सूचना भी आ गई कि संजय की पुलिस हिरासत में मौत हो गई।