93 लाख की लागत से भागलपुर में बन रहे सम्राट अशोक भवन और कई विकास कार्यों पर लगा ब्रेक, डिप्टी CM तारकिशोर से उम्मीदें अनेक
भागलपुर में कई विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं। 93 लाख रुपयों की लागत से बन रहा सम्राट अशोक भवन का निर्माण कार्य भी अधूरा है। दूसरी तरफ शहर में कई योजनाओं को गति नहीं मिल सकी है। ऐसे में डिप्टी CM तारकिशोर से आस है कि
जागरण संवाददाता, भागलपुर : निगम परिसर में सम्राट अशोक भवन के निर्माण कार्य की तीन वर्ष में पूरा नहीं हुआ। निर्माण कार्य की तकनीकी पेंच अब तक दूर नहीं हुई। जबकि उपमुख्यमंत्री सह नगर विकास एवं आवास मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने जुलाई में भागलपुर में समीक्षा बैठक के दौरान निदान का भरोसा दिया था। इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। अब शनिवार को भागलपुर आ रहे हैं। इनसे जनता को काफी उम्मीद भी है।
2018 में 93 लाख की लागत से सम्राट अशोक भवन का निर्माण शुरू हुआ था। बावजूद भवन अर्धनिर्मित है। निगम परिसर में साढ़े तीन वर्षों में पार्षद कक्ष भवन का भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। निगम का कंपनीबाग मोहल्ले में एक मात्र तालाब है। यहां 18 लाख रुपये की लागत से जीर्णोद्धार कार्य होना था। तालाब पर अतिक्रमण के कारण सात के बदले तीन बीघे का भी नहीं बचा है। लिहाजा, संवेदक ने जीर्णोद्धार का कार्य बंद कर रखा है। नाले-नालियों पर अतिक्रमणकारी काबिज हैं। नालियां साफ करने में दिक्कत आ रही है। समीक्षा बैठक उपमुख्यमंत्री ने हथिया नाले से अतिक्रमण हटाने का सख्ती से पालन करने के निर्देश का पालन नहीं हुआ।
वेंडिंग जोन है वीरान
नाथनगर के कर्णगढ़ में शहर का पहला वेंडिंग जोन 75.97 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार है। 20 फरवरी को लोकायुक्त के आदेश पर निगम ने लॉटरी के माध्यम से फुटकर विक्रेताओं के बीच दुकानें आवंटित कर दी। वेंडिंग जोन में 143 दुकानों का निर्माण कराया गया है। 28 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से इसका उद्घाटन किया। लेकिन निगम की जल्दबाजी और आवंटन की गलत नीति की वजह से शहर का पहला मॉडल वेंडिंग जोन वीरान पड़ा है।
आवंटन के अभाव में कार्य बाधित
नगर निगम की ओर से 90 करोड़ की 444 योजनाओं की निविदा कर दी है। पर, विभाग से आवंटन की कमी के कारण करीब 20 करोड़ की योजना अधर में फंस गई है। मुख्यमंत्री शहरी कच्ची नली गली योजना की करीब 161 योजनाओं का कार्य उक्त राशि से होना है। नगर निगम ने वर्ष 2019 में निविदा करने में जल्दबाजी कर दी। लिहाजा, निगम प्रशासन अब तक एग्रीमेंट भी नहीं कर पाया है। अब विभाग से आवंटन की आस लगाए बैठे हैं। राशि के अभाव में विकास कार्य पर ब्रेक लग गया है।