बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का नमूना: सुपौल के सरायगढ़ में दूर-दूर तक नहीं अस्पताल, इलाज के लिए जाना पड़ता है 17 किलोमीटर पार
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था- पहले तो बिहार में डाक्टरों की कमी है दूजा कि अब अस्पतालों की कमी भी दिखाई देने लगी है। मामला सुपौल के सरायगढ़ का है। जहां मरीजों को इलाज के लिए 17 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : सरकार लोगों को सुलभ तरीके से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रोज नई-नई घोषणाएं कर रही है। इसके लिए स्वास्थ्य संरचना को मजबूत भी किया जा रहा है। पहले की अपेक्षा आमलोगों को काफी हद तक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध भी हो रही है लेकिन सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड के रामनगर नबीपुर उप स्वास्थ्य केंद्र में पिछले छह माह से मरीजों का इलाज नहीं किया जाता है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर उप स्वास्थ्य केंद्र रामनगर नबीपुर की दूरी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर है।
किसी भी आपातकाल में रामनगर, नबीपुर, लक्ष्मीपुर, शाहपुर पृथ्वीपट्टी, छिटही हनुमाननगर सहित अन्य गांव के लोगों को भपटियाही अस्पताल ही आना पड़ता है। अधिक दूरी होने के कारण कई बार चाह कर भी लोग अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते हैं और उन्हें भारी कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। रामनगर नबीपुर उप स्वास्थ्य केंद्र में फिलहाल तीन एएनएम नियुक्त हैं। वहां एक भी डाक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है। स्थानीय कई लोगों का कहना है कि करीब छह माह पूर्व तक वहां एएनएम आकर टीकाकरण का कार्य करती थी लेकिन उसके बाद से कोई दर्शन को भी नहीं आते हैं।
लोगों का कहना है कि प्रखंड मुख्यालय का अस्पताल दूर रहने के कारण छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर वहां जाना संभव नहीं हो पाता है। उप स्वास्थ्य केंद्र में पहले एएनएम वीडियो काल के माध्यम से डाक्टरों से परामर्श कर दवाई उपलब्ध कराया करती थी। परेशानी के साथ-साथ पैसे की भी बचत हुआ करती थी।
खासकर महिला मरीजों को समय पर डाक्टर की सलाह मिल जाया करती थी। लोगों का कहना है कि आखिर किस कारण से उपस्वास्थ्य केंद्र रामनगर नबीपुर में एक भी स्वास्थ्यकर्मी नहीं आते। गांव के कई लोगों ने जिलाधिकारी तथा सिविल सर्जन सुपौल से उपस्वास्थ्य केंद्र रामनगर नबीपुर में तत्काल चिकित्सक और एएनएम नियुक्त करने का अनुरोध किया है।