सामाजिक समरसता के अग्रदूत अरविंद चंद पांडेय का निधन, RSS से जुड़े थे भैयाजी
भागलपुर के आरएसएस कार्यकर्ता अरविंद चंद पांडेय का निधन हो गए। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन संघ समाज और भारत माता को समर्पित कर दिया। उनका जीवन संत की तरह निर्भल था।
भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्ला]। भागलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक और पुरोधा अरविंद चंद पांडेय (88 वर्ष) का सात अगस्त 2020 को निधन हो गया। वे भीखनपुर भागलपुर के रहने वाले थे। उनका पैतृक घर जगदीशपुर प्रखंड अंतर्गत जमीन में है। वे डाक विभाग में अधिकारी थे। काफी उम्र हो जाने के कारण पिछले कुछ वर्षों से वे अपने पुत्र विवेकानंद पांडेय के पास दिल्ली के फरीदाबाद में रहने लगे थे। वहीं उनका दाह संस्कार हुआ। उनके ज्येष्ठ पुत्र विकास चंद पांडेय ने उन्हें मुखाग्नि दी। अरविंद चंद पांडेय पांच भाई और पांच बहनों में सबसे बड़े थे। काफी समृद्ध परिवार था उनका। उनके पिताजी जयदेव नारायण पांडेय 'बच्चो बाबा' की प्रतिष्ठा चारों ओर फैली हुई थी। वे प्रतिष्ठित जमींदार थे। अरविंद चंद पांडेय को दो पुत्री और दो पुत्र हैं। उनकी पत्नी गीता देवी धार्मिक, सेवाभावी, भद्र व विदूषी महिला थी। पति के हर कार्य का वे साथ देती थी। उनकी पत्नी का निधन जनवरी 2017 हो गया था।
विद्यार्थी जीवन में ही संघ से जुड़े
अपने विद्यार्थी जीवन में अरविंद चंद पांडेय आरएसएस के संपर्क में आए। संघ के सामाजिक समरसता से वे काफी प्रभावित थे। उन्होंने भी इस दिशा में काफी कार्य किया। जिस प्रकार उन्होंने नौकरी करते हुए पूरी ईमानदारी बरती, उसी प्रकार संघ कार्य भी उन्होंने काफी निष्ठा व समर्पण के साथ किया। वे जिस समय संघ से जुड़े उस समय आरएसएस के सरसंघचालक माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर 'गुरुजी' थे। वे कई बार उनके कार्यक्रमों में गए थे। उनके बौद्धिक से वे काफी प्रभावित हुए थे। जिस समय गुरुजी भागलपुर आए थे, उस समय अरविंद चंद पांडेय उस कार्यक्रम में मौजूद थे। भागलपुर में संघ कार्य करने के दौरान प्रचारक कृष्ण चंद्र भारद्वाज, शरद राव खाडिलकर, रामाशीष सिंह और उद्यम चंद्र शर्मा से वे काफी प्रभावित हुए। इन दोनों के मार्गदर्शन से वे संघ कार्य को पूरी निष्ठा से करते थे। इसके अलावा संघचालक डॉ लक्ष्मीकांत सहाय के व्यक्तित्व ने भी उन्हें संघ से जोड़े रखा। वे जब तक स्वस्थ रहे रोज संघ की शाखा जाते रहे। यहां तक कि उनके घर में भी शाखा लगती थी। उन्होंने माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर 'गुरुजी' के बाद बाला साहेब देवरस, प्रो राजेंद्र प्रसाद सिंह 'रज्जू भैया', केसी सुदर्शन और मोहनराव भागवत जैसे सरसंघचालकों के नेतृत्व में संघ कार्य किया। पांच अगस्त 2020 को जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास हो रहा थे, वे काफी खुश थे। पूरे कार्यक्रम को उन्होंने दूरदर्शन पर देखा। इस दौरान वे हाथ जोड़कर सीता-राम, सीता-राम बोल रहे थे। वे मुस्कुरा रहे थे।
आपातकाल के समय किया था आंदोलन
1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था, उस समय अरविंद चंद पांडेय ने आंदोलन में भी भाग लिया था। आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। आपातकाल के कारण संघ के कार्यकर्ता गोपनीय तरीके से बैठक करते और आगे की योजना बनाते थे। उस समय इस गतिविधि का संचालन वे भीखनपुर स्थित अपने आवास से गोपनीय तरीके से करते थे। उनके आवास पर ही कार्यकर्ताओं की बैठक होती थी। संघ के पदाधिकारियों का संदेश भी उन्हीं के घर पर पहुंचता था। इसके बाद 1992 में भी संघ पर प्रतिबंध लगा था। वे इस इस समय काफी सक्रिय थे। गोपनीय तरीके से वे संघ कार्य कर रहे थे। यहां बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगा है।
अब कभी नहीं आएंगे भैयाजी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अरविंद चंद पांडेय ने कई दायित्वों का निर्वह्न किया। उन्होंने सेवा प्रमुख के नाते जो कार्य किया, इसकी चर्चा आज भी होती है। नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद उनका ज्यादा समय सेवाबस्ती में बीता। ऐसे बच्चे जाे अशिक्षित थे, जिन्हें उनके अभिभावक पढ़ा नहीं सकते थे, उनका बीड़ा उन्होंने उठाया। उन्होंने न सिर्फ ऐसे बच्चों को पढ़ाया, बल्कि उन्हें पुस्तकें भी दी। उसकी स्वास्थ्य की चिंता की। लोगों को जागरुक किया। सेवाबस्ती में रहने और लोगो को जागरुक करने के कारण उस क्षेत्र में शराब की बिक्री कम हो गई थी। लोगों को उन्होंने शराब, खैनी, गुटखा और धुम्रपान का सेवन नहीं करने की सलाह दी। लोग उनसे प्रभावित होते गए और बुरी आदतों से छोड़ते गए। उन्होंने सेवाबस्ती में संघ की कई शाखाओं का भी संचालन किया। जहां बच्चों को वे संस्कारित करते थे। उन्होंने अपने घर को सेवा कार्य के लिए खोल दिया था। वे घर में संस्कार केंद्र चलाते थे। बच्चे उनके घर में बेझिझक आते थे। उनसे पढ़ते थे। उनके घर में बच्चों का भोजन होता था। सप्ताह में धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन वे बच्चों को कराते थे। बच्चों को साथ लेकर वे रामचरित मानस और हनूमान चालिसा का पाठ करते थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सेवाबस्ती के बच्चों के कल्याण में लगा दिया। सेवाबस्ती की महिलाओं और पुरुषों को उन्होंने रोजगार से जोड़ा। कई कल्याणकारी योजनाओं का उन्हें लाभ दिलाया। स्वास्थ्य कारणों से जब वे अपने पुत्र के पास रहने दिल्ली चले गए, तो उन्होंने अपने घर को संस्कार केंद्र चलाने के लिए खुला छोड़ दिया। सेवाबस्ती के सभी लोग उन्हें भैया जी कहकर पुकारते थे। आज उनकी निधन की सूचना पर सेवाबस्ती से लोग बोल रहे हैं-अब कभी नहीं आएंगे भैयाजी। उनका जीवन संत की तरह निर्मल था।
अनुकरणीय है उनका जीवन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघचालक डॉ चंद्रशेखर साह ने कहा कि उनका जीवन हमसबों के लिए प्रेरणाश्रोत है। वे संगठन के मूल्यों को जीने वाले कार्यकर्ता थे। जिला प्रचार प्रमुख हरविंद नारायण भारती ने कहा कि उनका अरविंद चंद पांडेय के साथ आत्मीय संबंध रहा है। वे हमेशा फोन करते थेा वे कहते थे कि आप प्रतिदिन घर में अपने स्वजनों के साथ बैठकर संध्या वंदन करें। दिन भर संघ और समाज को आप समय दें, लेकिन शाम में स्वजनों को साथ में लेकर भगवत भजन करें। बच्चों की पढ़ाई पर खुद से नजर रखें, उसका मूल्यांकन करें। घर संस्कारयुक्त होगा तभी हम समाज को प्रेरणा दे पाएंगे। अरविंद चंद पांडेय के निधन पर आरएसएस के जिलासंघचालक प्रो डॉ राणा प्रताप सिंह, सह नगर कार्यवाह श्रीधर मिश्र, ईश्वरनगर उपनगर कार्यवाह चंद्रशेखर प्रसाद, राकेश सिन्हा, श्रीकृष्ण पांडेय, भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय, डॉ प्रीति शेखर, अभय वर्म्मन आदि ने शोक व्यक्त किया है।
यहां बता दें कि 26 जुलाई 2020 को आरएसएस के दक्षिण बिहार प्रांत के पूर्व सह प्रांत संघचालक डॉ लक्ष्मीकांत सहाय का निधन हो गया था। वे आंख, नाक, कान और गला संबंधी रोगों के चिकित्सक थे।