RRB NTPC RESULT & VIOLENCE: आसान भाषा में समझिए आखिर क्यों आक्रोशित हो उठे छात्र? ये हैं तीन बड़े कारण
रेलवे की बहाली को लेकर छात्रों का प्रदर्शन जारी है। छात्र रेलवे बोर्ड पर सवाल उठा रहे हैं। साथ ही ग्रुप डी की परीक्षा में संशोधन को लेकर भी छात्रों में आक्रोश है। इसमें सीबीटी-2 लाने की बात कही गई है। ऐसे में...
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। बिहार में छात्र पिछले कुछ दिनों से बवाल काट रहे हैं। पटना, आरा, बक्सर, नवादा, मुजफ्फरपुर आदि जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। छात्र रेलवे बोर्ड पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। भागलपुर के छात्रों में भी आक्रोश है। परीक्षा, रिजल्ट समेत कई तरह की बातें छात्रों के आक्रोश को लेकर कही जा रही हैं। आइए द प्लेटफार्म संस्थान के निदेशक नवीन सिंह से जानते हैं छात्रों के आक्रोश के तीन बड़े कारण।
1. सात लाख की जगह महज तीन लाख 84 हजार छात्रों का रिजल्ट जारी :- नॉन टेक्निकल पापुलर कैटेगरी (NTPC) के CBT-। का परिणाम घोषित किया गया है। इसका परिणाम लेवल-2 से लेकर लेवल-6 तक पांच भागों में बांट कर दिया गया है। यानी 35,287 पदों के लिए सात लाख पांच हजार रिजल्ट दिया जाना है। कुल सीट का 20 गुणा रिजल्ट। रेलवे की ओर से इतना ही परिणाम दिया गया है। लेकिन छात्रों की संख्या तीन लाख 84 हजार है। यानी एक ही छात्र का दो से तीन बार अलग-अलग लेवल में रिजल्ट दे दिया गया है। हालांकि, बोर्ड की दलील है कि इसके बारे में नोटरिफिकेशन में स्पष्ट कर दिया गया था। बोर्ड का यह तर्क सही है, जबकि छात्रों को लगता है कि एक ही छात्र का दो से तीन बार रिजल्ट आने से उनके साथ हकमारी हो गई है।
2. नार्मलाइजेशन को लेकर छात्रों में असंतोष :- जब ज्यादा सीटिंग में परीक्षा ली जाती है, तो उसके औसत अंक को निकालने का बेस्ट तरीका नार्मलाइलेशन होता है। रेलवे की ओर से इसी को अपनाया जाता है। लेकिन छात्रों का कहना है कि किसी का अंक दो से चार अंक तक घट गया है तो किसी का 20 से 25 अंक तक बढ़ गया है। इससे भी छात्रों में आक्रोश है। यही वजह है कि छात्र रिजल्ट में धांधली का आरोप भी लगा रहे हैं।
3. ग्रुप डी में सीबीटी-2 को लेकर आक्रोश :- एनटीपीसी के रिजल्ट को लेकर छात्रों में पहले से ही आक्रोश था, इसी बीच रेलवे बोर्ड की ओर से ग्रुप-डी की परीक्षा को लेकर नोटरिफिकेशन जारी कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि अब ग्रुप-डी की परीक्षा में सीबीटी-2 यानी मेंस परीक्षा ली जाएगी। पहले केवल सीबीटी-1 और फिजिकल परीक्षा ली जाती थी। इससे भी छात्रों में आक्रोश है। साथ ही ग्रुप डी की परीक्षा में मेडिकल टेस्ट का स्तर भी बढ़ा दिया गया है।
हालांकि, रेलवे बोर्ड की ओर से हर स्तर पर छात्रों के संशय को दूर किया जा रहा है। साथ ही कहा गया है कि रेलवे की ओर से परीक्षा के दौरान पूरी पारदर्शिता बरती गई है।