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भागलपुर लोकसभा : 9485 मतों से हुआ था 2014 में हार-जीत का फैसला... नोटा को मिले थे 11875 Vote

जदयू अभी एनडीए का साथी है। एनडीए ने अभी अपने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं। इसके बावजूद टिकट की रेस में या चर्चा में भाजपा और जदयू दोनों है। भाजपा की सक्रियता अधिक है और दावेदारी भी मजबूत है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 09:36 AM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 04:02 PM (IST)
भागलपुर लोकसभा : 9485 मतों से हुआ था 2014  में हार-जीत का फैसला... नोटा को मिले थे 11875 Vote
भागलपुर लोकसभा : 9485 मतों से हुआ था 2014 में हार-जीत का फैसला... नोटा को मिले थे 11875 Vote

भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता]। भागलपुर लोकसभा के वर्ष 2014 का चुनाव कई महत्‍वपूर्ण बातें के लिए याद रखा गया था। गत चुनाव में नोटा को जितना मत मिला, उससे कम मतों के अंतर से राजद के बुलो मंडल चुनाव जीत गए। उन्होंने निकटतम प्रत्याशी भाजपा के सैयद शाहनवाज हुसैन को 9485 मतों से हराया था। वहीं इस चुनाव में नोटा को 11875 मत मिले थे। इसके अलावा मतदाताओं ने ज्यादातर क्षेत्रीय दलों को नकार दिया था। इनमें से सिर्फ जदयू ही लाख वोट प्राप्त करने का आंकड़ा पार किया था।

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यूपी की सत्ता में कायम रह चुकी सपा और बसपा पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भागलपुर सीट पर भाग्य आजमा चुकी है। 2014 में भाजपा और राजद सहित कुल 17 उम्मीदवार थे। उस चुनाव में यहां से दिल्ली स्टेट की सत्ता पर काबिज 'आप' भी लड़ी थी। खास बात यह कि अभी एनडीए के साथी जदयू ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया था। इन सभी दलों की जमानत जब्त हो गई थी।

मतदाताओं ने ऐसे क्षेत्रीय दलों को नकार दिया था। इनमें से सिर्फ जदयू ही लाख का आंकड़ा पार किया था। सपा, बसपा और आप को बहुत ही कम मिले थे। इस बार के चुनाव में समीकरण बदला हुआ है। जदयू अभी एनडीए का साथी है। एनडीए ने अभी अपने उम्मीदवार तय नहीं किए हैं। इसके बावजूद टिकट की रेस में या चर्चा में भाजपा और जदयू दोनों है। भाजपा की सक्रियता अधिक है और दावेदारी भी मजबूत है। जदयू की स्थानीय इकाई की बैठक में गत दिनों भागलपुर सीट पर दावा ठोकने का निर्णय लिया गया था। जदयू के दावे को शीर्ष नेतृत्व कितना महत्व देता है, यह अगले कुछ दिनों में पता चल जाएगा। उधर, यूपी में पूर्व में जनाधार रखने वाली पार्टी सपा और बसपा इस चुनाव में एक है। दोनों ही दल लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ रही है।

इसलिए इस चुनाव में फिर दोनों एक दूसरे के सामने होंगे, यह संभव नहीं लग रहा है। 2019 के चुनाव में समीकरण बदल गया है। अभी जहां जदयू भाजपा के साथ हैं वहीं सपा और बसपा दोनों का गठबंधन हुआ है। गत चुनाव में ईवीएम में नोटा भी एक दल की तरह वोट हासिल किया था। 2014 में जीत-हार का अंतर 9485 मतों से था वहीं नोटा को 11875 मत मिले थे। सपा को 2416, बसपा को 11265 और आप को 5830 मत मिले थे। जदयू ने 132256 वोट हासिल किया था। छह स्वतंत्र उम्मीदवार भी चुनाव लड़े थे। दो निर्दलीय को बसपा से अधिक वोट हासिल हुआ था। भाकपा माले ने भी उम्मीदवार उतारे थे। गत चुनाव में तीन महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ी थीं।


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