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ऋषिकुंड और सीताकुंड को मिलेगा पर्यटन स्थल का दर्जा, जानिए... क्‍या है सरकार की योजना

मुंगेर में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। इसके लिए सरकार और जिला प्रशासन योजना बना रही है। नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि भी इसमें सहयोग कर रहे हैं। जिला में पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। ऋषिकुंड और सीताकुंड को शीघ्र पर्यटन स्थल का दर्जा मिलेगा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 09:33 AM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 09:33 AM (IST)
ऋषिकुंड और सीताकुंड को मिलेगा पर्यटन स्थल का दर्जा, जानिए... क्‍या है सरकार की योजना
पहाड़ से निकलने वाले अनवरत गर्म जल के श्रोत ऋषिकुंड की पहचान है।

मुंगेर, जेएनएन। मुंगेर में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। मुंगेर में ऐसे स्थलों की लंबी सूची है। जिन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाता है। जिला में पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं। राज्य में नई सरकार के गठन के बाद सरकार ने भी अपने एजेंडे में रोजगार को प्राथमिकता में शीर्ष पर रखा है। मुंगेर के नव निर्वाचित विधायक प्रणव कुमार ने मुंगेर में पर्यटना को बढ़ावा देने की पहल शुरू कर दी है। इस कड़ी में ऋषिकुंड और सीताकुंड को शीघ्र पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने की उम्मीद जग गई है।  पूर्व डीएम आनंद शर्मा ने ऋषिकुंड ओर सीताकुंड को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेजा था।

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 पर्यटन विभाग की टीम ने लिया था जायजा  

जिला मुख्यालय से भेजे गए प्रस्ताव के बाद पर्यटन विभाग की टीम ऋषिकुंड पहुंची थी। डीएम आनंद शर्मा ने टीम के अधिकारियों के साथ ऋषिकुंड का जायजा लिया था। टीम ने वाहन पार्किंग, पर्यटकों के लिए कॉटेज आदि बनाने का निर्णय लिया। वहीं, तत्कालीन ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार ने भी अधिकारियों के साथ ऋषिकुंड का जायजा लिया था। उस समय ऋषिकुंड से गाद की सफाई भी कराई गई थी। लेकिन, बाद में ऋषिकुंड को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कावायद फाइलों में उलझ कर रह गई।

 क्या है ऋषिकुंड की विशेषता

ऋषिकुंड पहाड़ की तराई में अवस्थित है। पहाड़ से निकलने वाले अनवरत गर्म जल के श्रोत ऋषिकुंड की पहचान है। ठंड के दिनों में गर्म जल के कुंड में स्नान करने दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां प्रत्येक तीन वर्ष पर एक महीने का मलमास मेला लगता है। ऋषिकुंड के जल में स्नान करने से चर्मरोग ठीक हो जाते हैं। वहीं, ऋषिकुंड के गर्म जल के सेवन से पेट संबंधी बीमारी दूर हो जाती है। इस कारण ऋषिकुंड के पानी का व्यवसाय दिनोंदिन परवान चढ़ रहा है। स्थानीय युवा ऋषिकुंड के जल को बोतल और जार में बंद कर बिक्री करते हैं। पहाड़ पर उपलब्ध जड़ी बुटी से होकर पानी कुंड तक पहुंचता है। वहीं, ऋषिकुंड के पानी में गंधक की मात्रा भी पाई गई है। इसी कारण यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

 सीताकुंड का है अपना पौराणिक महत्व

सीताकुंड का अपना पौराणिक महत्व है। सीताकुंड का जल सालों भर गर्म रहता है। सीताकुंड के साथ ही यहां राम, भरत, लक्षमण और शत्रुघन के नाम से भी कुंड है। सीताकुंड के बारे में प्रचलित दंत कथा के अनुसार अग्नि परीक्षा के बाद मां सीता ने कुंड में प्रवेश किया। उनके शरीर के ताप से कुंड का पानी हमेशा गर्म रहता है। सीताकुंड में प्रत्येक वर्ष माघी पूर्णिमा पर मेला का आयोजन किया जाता है। जहां लकड़ी के बने फर्नीचर सस्ते दर पर खरीदने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।

 पूर्व मंत्री ने  पर्यटन स्‍थल बनाने कि की थी घोषणा 

 जिला के तत्कालीन प्रभारी मंत्री सह पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत ने सीताकुंड को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने की घोषणा की थी। इसके लिए उन्होंने शीघ्र राशि का आवंटन कराने का भी आश्वासन दिया। लेकिन, सीताकुंड को अब किसी उद्धारक का इंतजार है।

 ऋषिकुंड और सीताकुंड को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर पर्यटन मंत्री से बात हुई है। शीघ्र ही डीपीआर को स्वीकृति मिलेगी। - प्रणव कुमार, विधायक मुंगेर

 पर्यटन को बढ़ावा देकर जिला में रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। ऋषिकुंड पहाड़ी क्षेत्र है। अगर ऋषिकुंड को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाएगा, तो आधारभूत संरचना का विकास होगा। सालों भर पर्यटक आएंगे, तो होटल, रेस्टूरेंट आदि खुलेंगे। युवाओं को गाइड का काम भी मिलेगा। वहीं, सीताकुंड को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने के बाद बाजार का विस्तार होगा। - प्रो. प्रकाश, सेवानिवृत विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग बीआरएम कॉलेज मुंगेर


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