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मैंने इस्तीफा क्यों दिया... कश्मीर मुद्दे पर विपक्ष चुप था, इसलिए बोलना पड़ा, जानिए... कन्नन गोपीनाथ की राय Bhagalpur news

कन्नन अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीने जाने का आरोप मढ़कर चर्चा में आए थे। वे केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 09:55 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 09:55 AM (IST)
मैंने इस्तीफा क्यों दिया... कश्मीर मुद्दे पर विपक्ष चुप था, इसलिए बोलना पड़ा, जानिए... कन्नन गोपीनाथ की राय Bhagalpur news
मैंने इस्तीफा क्यों दिया... कश्मीर मुद्दे पर विपक्ष चुप था, इसलिए बोलना पड़ा, जानिए... कन्नन गोपीनाथ की राय Bhagalpur news

भागलपुर [जेएनएन]। जम्मू-कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा देने वाले आइएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथ ने कहा कि विपक्ष भी चुप था, इसलिए उन जैसे लोगों को आगे आना पड़ा। वे भागलपुर में दैनिक जागरण से बात कर रहे थे। कन्नन अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीने जाने का आरोप मढ़कर चर्चा में आए थे। वे केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे। क्या एक आइएएस अधिकारी को व्यवस्था द्वारा निहित दायरे में नहीं रहना चाहिए, इस सवाल पर कहा कि जब हर तरफ मौन हो तो सच के साथ खड़ा होना देशद्रोह नहीं है। आखिर यह चिंता इसी समय क्यों, पहले क्यों नहीं? इस सवाल पर कहा कि कोई भी सरकार हो पूछने का अधिकार होना चाहिए।

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उन्होंने यह भी कहा कि मैं हिंदू हूं, उच्च जाति का हूं, आइएएस हूं, पुरुष हूं तो बोलने का विशेषाधिकार है। यह तो सभी के लिए है, इस सवाल पर कहा कि परिस्थितियां प्रतिकूल हैं।

उन्होंने कहा कि 23 अगस्त को पद से इस्तीफा देने के बाद सरकार ने अभी तक स्वीकार नहीं किया, बल्कि विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी। उन्हें इसका अंदेशा था। कुछ लोगों ने उन पर देशद्रोही होने तक का आरोप लगाया। फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन और राइट टू डिसेंट की लड़ाई आने वाले भविष्य के लिए जरुरी है। मुझे बोलने की जरूरत इसलिए पड़ी कि जिनके जिम्मे बोलने का काम था वे चुप हैं। क्या वे चुनाव लडऩे का इरादा रखते हैं, इस पर कहा कि प्रस्ताव जरूर मिला था, लेकिन ऐसा कोई विचार नहीं है।

कन्नन ने इससे पहले राष्ट्र सेवा दल, पीस सेंटर और लोक चेतना की ओर मुस्लिम माइनॉरिटी कॉलेज में मैंने इस्तीफा क्यों दिया कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति के अधिकार पर बोलते हुए कहा कि एनआरसी सांप्रदायिक मुद्दा है। लोकतंत्र में सरकार को नहीं, जनता को सवाल पूछने का हक है। सरकार को ये हक किसने दिया कि वह जनता से पूछे कि आप असली नागरिक हैं कि नहीं। गरीबों, दलितों के पास पचास साल पुराना रिकॉर्ड कहां से मिलेगा। इसके अलावा वरिष्ठ नाटककार राजेश कुमार, डॉ रिजवाना , दिवाकर घोष,हबीब मुर्शीद, इम्तियाजुर रहमान, ऐनुल होदा, संजीव कुमार दीपू, रिजवान खान और डॉ सलाउद्दीन मौजूद थे।


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