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गुणकारी है लाल लहसून, फंगल इंफेक्शन के लिए लाभकारी, किसान भी होंगे समृद्ध

बांका में लाल लहसून की खेती से बढ़ेगी किसानों की आमदनी। बौंसी प्रखंड के झपनियां गांव में प्रयोग के तौर पर लगाया गया है लाल लहसून। अच्छे परिणाम मिलने के बाद इसे अधिक क्षेत्रफल में लगाने की है योजना।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 06:11 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 06:11 PM (IST)
गुणकारी है लाल लहसून, फंगल इंफेक्शन के लिए लाभकारी, किसान भी होंगे समृद्ध
बांका में लाल लहसून की खेती होती है।

बांका [सुधांशु कुमार]। आए दिन किसानों के लिए खेती करना काफी मुश्किल हो गया है। लागत अधिक लगने के साथ ही मजदूर नहीं मिलने से किसानों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में बौंसी प्रखंड के झपनियां गांव के प्रगतिशिल किसान अविनाश स‍िंंह इस बार अपने खेतों में लाल लहसून की खेती प्रयोग के तौर पर किया है।

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अविनाश सिंह ने बताया कि साल 1998 में इंटर की परीक्षा पास कर वह सीआरपीएफ में भर्ती हो गए। करीब 10 साल तक उन्होंने नौकरी की। इसके बाद वर्ष 2009 में नौकरी छोड़कर कोयला, पत्थर और बालू का व्यवसाय किया। लेकिन शुरू से ही उनकी रुचि खेती में थी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2018 में रांची में ही अपने फार्म में विज्ञानी तरीके से जैविक खेती शुरू की। लाल लहसून की रांची में सफल खेती होने के बाद इस बार जिले में प्रयोग के तौर पर 15 बाय 10 फीट की जगह में की है। यदि यह सफल रहा तो इनकी योजना इसे और अधिक क्षेत्रफल में करने की है।

समेकित खेती प्रणाली को सफलता से किया लागू

अविनाश बताते हैं कि खेती-किसानी में उन्हें अब खूब मन लग रहा है। आज वह मछली पालन में भी बहुत आगे हैं। उनके यहां जीरो लेवल से टेबल लेबल तक मछली तैयार की जा रही है। इसके साथ ही देसी मुर्गी पालन भी कर रहे हैं। इनक फार्म करीब चार एकड़ में फैला है। इसमें से एक एकड़ में तालाब है। खेतों के मेड़ और तालाब के किनारे लगभग पांच सौ सागबान के पौधे लगाकर मधुमक्खी पालन भी कर रहे है।

लहसून पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद

लहसून पाचन तंत्र के लिए सबसे अधिक फायदे मंद है। यह फंगल इंफेक्शन से लडऩे में मदद करता है। इसके साथ ही यह रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाता है। गठिया को कम करने और हाई बीपी को नियंत्रित करने में भी लहसून को उपयोगी माना जाता है। लाल लहसून में सफेद लहसून से अधिक औषधिय गुन पाया जाता है। इसकी उपज भी सामान्य लहसून से अधिक होती है और कीमत भी सामान्य से अधिक मिलता है। यह छह माह में ही तैयार हो जाता है।


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