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बच्चों की इम्यूनिटी के आगे पस्त हुआ कोरोना, सौ फीसद तक हो रहे हैं ठीक

भागलपुर में अप्रैल से अबतक 41 बच्चे हो चुके हैं संक्रमित लेकिन अब तक सभी स्वस्थ हो चुके हैं। संक्रमितों में नवजात से लेकर 13 साल के बच्चे शामिल चिकित्सक भी मान रहे है कि यहां पर बच्चों के ठीक होने की दर सौ फीसद है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 04:51 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 04:51 PM (IST)
बच्चों की इम्यूनिटी के आगे पस्त हुआ कोरोना, सौ फीसद तक हो रहे हैं ठीक
जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविदयालय अस्पताल का मुख्य द्वार

 

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भागलपुर, जेएनएन। कोरोना से हर कोई सशंकित हैं। लेकिन, बच्चों की इम्यूनिटी के आगे कोरोना वायरस पूरी तरह नतमस्तक है। एक तरफ जहां जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में करीब छह माह में 94 कोरोना मरीजों की मौत हो गई, तो दूसरी तरफ राहत भरी बात यह है कि मरने वालों में एक भी बच्चे शामिल नहीं है। मेडिकल अस्पताल में 41 संक्रमित बच्चे स्वस्थ्य होकर घर जा चुके हैं। संक्रमित होने वाले बच्चे नवजात से लेकर 13 वर्ष तक हैं। मेडिकल अस्पताल में बच्चों के ठीक होने का दर 100 फीसद है। बच्चों के स्वस्थ्य होने होने पर चिकित्सक भी उत्साहित हैं। अब इस पर चिकित्सक अध्ययन करने की तैयारी में हैं। अप्रैल से 19 सितंबर तक जेएलएनएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में कटिहार, खगडिय़ा, मुंगेर, भागलपुर 41 बच्चों को कोरोना संक्रमित होने पर भर्ती कराया गया था। इन बच्चों ने छह से सात दिनों के अंदर ही कोरोना से जंग जीत ली है।

पांच साल तक मां का दूध रामबाण

शिशु रोग विशेषज्ञ का मानना है कि चार-पांच साल तक बच्चे मां का दूध पीते हैं। वायरस से लड़ाई में बच्चों का प्रतिरोधक क्षमता बेहतर रहता है। मां के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और जिनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।

केस स्टडी-एक

-बांका के पांच वर्षीय बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जेएलएनएमसीएच के आइसोलेशन वार्ड में सात दिनों तक इलाज चला। इसके बाद दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। खगडिय़ा के चार वर्षीय बच्चा भी अगस्त में स्वस्थ्य होकर घर चला गया।

केस स्टडी-दो

-शाहकुंड प्रखंड की एक प्रसव पीडि़त महिला की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। महिला ने एंबुलेंस में ही नवजात बच्चों का जन्म दिया। इसके बाद बच्चे का सैंपल लिया गया। बच्चे की रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बाद भी मां का दूध पिलाने में रोक नहीं लगाई। नवजात और मां दस दिन बाद घर गए।

-बड़ों की अपेक्षा बच्चों में कोरोना से लडऩे की प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। इस कारण बच्चों में जोखिम होने की संभावना कम होती है। यही वजह है कि बच्चे स्वस्थ्य हो रहे हैं।

-डॉ. खलील अहमद, शिशु रोग विशेषज्ञ, जेएलएनएमसीएच।


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