विजयादशमी उत्सव 2021: भागलपुर में स्वयंसेवकों ने निकाला पथ संचलन, बोले- RSS के लिए प्रतिदिन एक घंटे का समय निकलें
विजयादशमी उत्सव 2021 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भागलपुर में अपना स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। बौद्धिक के दौरान RSS के लिए प्रतिदिन एक घंटे का समय निकलाने का सभी से अपील की गई।
आनलाइन डेस्क, भागलपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। इसकी कार्यपद्धति भी अनूठी है। यह संगठन हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज के लिए समर्पित है। संगठन की पहचान इसकी शाखा है। शाखा प्रतिदिन लगती है। सभी स्वयंसेवक नित्य शाखा आते हैं। संघ का उद्देश्य है शाखा को आदर्श और गुणवत्तार्पूण बनाना। उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भागलपुर विभाग बौदि्धक शिक्षण प्रमुख अजीत कुमार ने कही। वे आनंदराम ढांढनियां सरस्वती विद्या मंदिर भागलपुर में विजयादशी उत्सव सह आरएसएस स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सभी लोग नित्य शाखा जाएं। शाखा में होने वाले छोटे-छोटे कार्यक्रमों के माध्यम से ही कार्यकर्ता का निर्माण होता है। और यही कार्यकर्ता देश को सही दिशा और दशा देते हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि प्रतिदिन एक घंटा का समय आरएसएस को दे दें, तो देश विश्वगुरु बन जाएगा। इस दिशा में हम काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
स्वयंसेवकों ने किया पथ संचलन
इससे पूर्व गणेवशधारी 157 स्वयंसेवकों ने भागलपुर में पथ संचालन किया। पथ संचलन आनंदराम से शुरू हुआ। बूढ़ानाथ चौक, नयाबाजार, कोतवाली, खलीफाबाग चौक होते हुए पुन: सभी स्वयंसेवक आनंदराम पहुंचे। जिला घोष प्रमुख उत्तम कुमार के नेतत्व में घोष के स्वर पर सभी स्वयंसेवक कदम से कदम मिलाकर संचलन कर रहे थे। इस दौरान विभिन्न जगहों पर स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा की गई। कार्यक्रम में भागलपुर नगर के 205 स्वयंसेवक आए हुए थे। सभी ने शस्त्र पूजन भी किया। विजयादशमी उत्सव शक्ति का प्रतीक पर्व है। मुख्य शिक्षक भागलपुर नगर शारीरिक शिक्षण प्रमुख रवि कुमार थे। व्यक्तिगत गीत 'संस्कृति सबकी एक चिरंतन' - राजीव मिश्रा, सामुहिक गीत 'धर्म के लिए जिएं-समाज के लिए जिएं', अमृत वचन- आदित्य ने, प्रार्थना हर्ष भारती ने कराया। ध्वजारोहण और अवतरण में पियुष झुनझुनवाला और राजेश तिवारी ने किया।
1925 में हुई थी आरएसएस की स्थापना
विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ की स्थापना डा केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में की थी। डा हेडगेवार प्रथम सरसंघचालक थे। उन्हें आद्य सरसंघचालक भी कहा जाता है। उनके बाद माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर 'गुरुजी' आरएसएस के सरसंघचालक बने। तीसरे सरसंघचालक मधुकर दत्तात्रेय देवरस 'बाला साहब देवरस', चौथे प्रो राजेंद्र प्रसाद सिंह 'रज्जू भैया', पांचवें केसी सुदर्शन और वर्तमान में छठे सरसंघचालक डा मोहनराव मधुकरराव भागवत हैं। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ अपना गुरु भगवा ध्वज को मानता है। प्रतिदिन लगने वाली शाखा में भगवा ध्वज लगाया जाता है।
आरएसएस के सौ वर्ष पूरे होने पर 2025 में पूरे देश में शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा। जिसकी अभी से तैयारी चल रही है। एक वर्ष तक लगातार यह कार्यक्रम चलता रहेगा।
(संचलन में शिशु स्वयंसेवक वैदज्ञ भारद्वाज व आदित्य शर्मा भी शामिल थे।)
कार्यक्रम में उपस्थित थे
दक्षिण बिहार प्रांत बौदि्धक शिक्षण प्रमुख बालमुकुंद गुप्त, जिला कार्यवाह निर्भय कुमार चौधरी, नगर कार्यवाह श्रीधर मिश्र, जिला बौद्धिक शिक्षण प्रमुख हरविंद नारायण भारती, विभाग संपर्क प्रमुख अजीत घोष, सह नगर कार्यवाह ओंकार जी, नगर शारीरिक प्रमुख रवि कुमार पंडित, विहिप के प्रांत सह मंत्री पारस शर्मा, पवन गुप्त, संतोष कुमार, चंद्रशेखर प्रसाद, अनंत कुमार सिन्हा, योगी राजीव मिश्र, राजीव सिंह, शिव, पंकज, राहुल जिलोका आदि मौजूद थे। इस अवसर पर आरएसएस के अलावा भाजपा, विद्या भारती, विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद, बजरंगदल, दुर्गा वाहिनी, राष्ट्र सेविका समिति सहित कई अनुशांसिग संगठन के कार्यकर्ता मौजूद थे।