एनएच 31 पर तेज हुई हादसों की रफ्तार, हर माह पांच दुर्घटनाएं
गेड़ाबाड़ी से कुरसेला तक डेंजर जोन, हर साल होती है 50 दुर्घटना।
कटिहार (नीरज कुमार)। सड़क दुर्घटना को लेकर राष्ट्रीय उच्च पथ 31 पर गेड़ाबाड़ी से कुरसेला तक संवेदनशील है।
जानकारी के मुताबिक पूर्णिया से लेकर नवगछिया तक एनएच 31 पर सबसे अधिक सड़क दुर्घटना गेड़ाबाड़ी और कुरसेला के बीच ही प्रतिवेदित हुआ है। शुक्रवार की रात एनएच पर गेड़ाबाड़ी चौक और पूर्णिया के मरंगा के बीच दो सड़क हादसे में एक बच्ची सहित दो की मौत हो गई। गेड़ाबाड़ी चौक, कुरसेला के समीप देवीपुर एवं कुरसेला कोसी ब्रिज सड़क दुर्घटना को लेकर डेंजर जोन बनता जा रहा है। सड़क हादसों में कमी लाने को लेकर कुछ दिन पूर्व मुख्यालय स्तर से मिले निर्देश के आलोक में थानावार सड़क दुर्घटना से संबंधित जानकारी की मांग की गई थी। इस आधार पर एनएच एवं एसएच सहित मुख्य सड़क मार्ग पर डेंजर प्वाईंट का निर्धारण कर सुरक्षित वाहन परिचालन को लेकर चालकों को जागरूक किया जाना था। लेकिन धरातल पर इस दिशा में कोई काम नहीं हो पाया। सड़क सुरक्षा सप्ताह की भी महज औपचारिकता ही पूरी की जाती है। एनएच एवं एसएच पर तेज गति से वाहन चलाने एवं परिवहन नियमों की अनदेखी किया जाना सड़क दुर्घटना का कारण बनता जा रहा है। पिछले एक सप्ताह में गेड़ाबाड़ी कुरसेला के बीच एवं एसएच 77 पर फलका के समीप सड़क हादसे की आठ घटना हुई है।
परिवहन नियमों का नहीं किया जाता है पालन एनएच एवं एसएच पर वाहन चालकों द्वारा परिवहन नियमों को ताक पर रख वाहन परिचालन किया जाता है। सड़क हादसों के लिए संवेदनशील स्थानों पर न तो चेक पोस्ट की व्यवस्था रहती है और न ही वाहनों की जांच ही की जाती है। शाम ढ़लते ही एनएच पर भारी वाहनों का दवाब बढ़ जाता है। तीव्र मोड़ पर रेडियम लगे संकेतक की व्यवस्था नहीं रहने से भी सड़क हादसे में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। गेड़ाबाड़ी और कुरसेला के बीच सड़क दुर्घटना में वृद्धि को देखते हुए एनएच के समीप ट्रॉमा सेंटर बनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई थी। ताकि हादसे में गंभीर रूप से जख्मी का इलाज तुरंत शुरू किया जा सके। लेकिन ट्रॉमा सेंटर अब तक अपने अस्तित्व में नहीं आ पाया है।