कर्णगढ़ में रामलीला की अनोखी परंपरा, आइए... देखिए... कैसी है रावण दहन की तैयारी
दुर्गापूजा के दौरान नाथनगर के कर्णगढ़ मैदान में रामलीला की परंपरा डेढ़ शताब्दी से भी प्राचीन है। इसकी प्रसिद्धि जिले के आसपास के क्षेत्रों में फैली हुई है।
भागलपुर (जेएनएन)। दुर्गापूजा के दौरान नाथनगर के कर्णगढ़ मैदान में रामलीला की परंपरा डेढ़ शताब्दी से भी प्राचीन है। इसकी प्रसिद्धि जिले के आसपास के क्षेत्रों में फैली हुई है। दूर-दराज के लोग रावण दहन को देखने के लिए कर्णगढ़ मैदान पहुंचते हैं। कर्णगढ़ मैदान आज भी दो लाख के भीड़ का गवाह बनता है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के बीच एक मात्र कर्णगढ़ का रावण दहन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मैदान में भीड़ को संभालने के लिए सुरक्षा बलों को प्रतिनियुक्त किया गया है।
नाथनगर के ऐतिहासिक कर्णगढ़ मैदान में शुक्रवार को 30 फीट के रावण का दहन किया जाएगा। शाम साढ़े सात बजे डीएम प्रणव कुमार, एसएसपी आशीष भारती और एसडीओ आशीष नारायण द्वारा पुतला दहन किया जाएगा। मेले को आकर्षक बनाने के लिए गोलदारपट्टी रामलीला समिति ने तैयारी शुरू की दी है।
रावण के साथ 25 फीट के कुंभकरण और 20 फीट के मेघनाथ का पुतला बनाया जा रहा है। मिरजानहाट में पुतला को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है। समिति के सचिव दिलीप भगत ने बताया कि गुरुवार तक पुतला तैयार कर लिया जाएगा, जिसे कर्णगढ़ मैदान में विजयादशमी के दिन खड़ा कर दिया जाएगा। पुतला तैयार करने के उपरांत कोतवाली के आतिशबाजों द्वारा पटाखे लगाए जाएंगे। रामलीला मेले में आतिशबाजी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
मैदान में विजयादशमी पर रामलीला के साथ रावण, कुंभकरण व मेघनाथ के पुतला का दहन किया जाता है। इसके पूर्व मैदान में रामलीला के कलाकारों द्वारा दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया जाता है।