Ram Mandir Bhumi Pujan : मिथिला में चहुंओर राम-जानकी के गीतों की धूम
Ram Mandir Bhumi Pujan मिथिला वासियों का उत्साह चरम पर है। महिलाएं और पुरुष ठाकुरबाड़ी में मंगल गीत गा रहे हैं। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शिलान्यास हुआ।
भागलपुर [संजय सिंह]। Ram Mandir Bhumi Pujan : अयोध्या में रामलला मंदिर निर्माण की खुशी मिथिला में भी बरस रही है। श्रीराम और मिथिला का रिश्ता युग-युगांतर का है। लॉकडाउन की वजह से भले ही मांगलिक कार्य पर रोक लगी है, लेकिन मिथिला की धिया (बेटी) सिया की नगरी में चहुंओर राम-जानकी की गीतों की ही धूम है। यहां मांगलिक गीत के शुरू होने के साथ-साथ पांच अगस्त को बड़े पैमाने पर दीवाली मनाने की तैयारी भी चल रही है।
मंगल गीतों से ठाकुरबाडिय़ों में उल्लास
पांच अगस्त को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का शिलान्यास हुआ। मिथिला वासियों का उत्साह चरम पर है। महिलाएं और पुरुष ठाकुरबाड़ी में मंगल गीत -सीता उघारी लियो मांग सिंदूर लैलय, ठाड़ छथिन राम सिंदूर..., सीता के सकल देखी झकै छथिन जनक जी, आब सीता रहली कुमारी गे...से वातावरण भी सियाराममय हो चला है। इस इलाके में ढाई सौ से ज्यादा ठाकुरबाडिय़ां हैं। सावन महीने में झूलन का अलग महत्व होता है। महिलाएं और उनकी सखियां सहेलियां झूले में झूम-झूम कर- ऐ पहुना आहां मिथिले में रहुन गीत पर थिरक रही हैं।
रामायण वाचन की सदियों से परंपरा
बच्चे का जन्म दिन, मुंडन या मांगलिक कार्य ही क्यों न हो। इन इलाकों में रामायण वाचन की परंपरा सदियों से रही है। यहां के ठाकुरबाडिय़ों में हर दिन शाम में अखंड-कीर्तन, सुंदरकांड और रामचरित मानस का पाठ होता है। यह किसी एक दिन नहीं, बल्कि हर रोज चलता है। लोगों ने इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। नेम-निष्ठा के साथ हर दिन राम-सीता का भजन गाया जाता है। अभी लॉकडाउन में शारीरिक दूरी बनाकर लोग भजन-कीर्तन कर रहे हैं।
प्रभु के स्मरण से मिलती है सुख और शांति
सहरसा शहरी क्षेत्र के रहने वाले मुनचुन झा, राजकिशोर, रामजीवन झा, बबली झा, नवनीता सिंह व किशोर मिश्रा कहते हैं कि प्रभु के स्मरण मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। काफी खुशी की बात है कि इस बार रामलला के मंदिर की नींव रखी जा रही है। लॉकडाउन की वजह से उन्हें उस शुभ घड़ी में शामिल नहीं हो पाने का मलाल सता रहा है।
-कोसी और इससे सटे मिथिलांचल के 250 से ज्यादा है राम-जानकी ठाकुरबाडिय़ों में उल्लास
-युगों से रहा है श्रीराम और मिथिला का रिश्ता, पांच अगस्त के पावन क्षण का हर मिथिला वासी कर रहे इंतजार
'बर रे जतन हम आस लगाओल पोसल,
नेह लगा, सेहो धिया आब सासुर जेति
लोचन नीचर नीर बहाय...
सिया-सिया रटबै आठो याम हरदम
भजबै सीता-राम, सीता-राम
बहिनी पाहुन राम जनकपुर में...'