Ram Mandir Bhumi Pujan : अवध तहां जहां राम निवासू, तहहीं दिवस जहां भानु प्रकासू
Ram Mandir Bhumi Pujan जमुई मुंगेर लखीसराय और भागलपुर से जुड़ी हैं भगवान श्रीराम की स्मृतियां सुल्तानगंज से गंगा का जल भरकर पैदल देवघर ले गए थे प्रभु राम।
भागलपुर [आनंद कुमार सिंह]। Ram Mandir Bhumi Pujan : अवध तहां जहां राम निवासू, तहहीं दिवस जहां भानु प्रकासु। मतलब, जहां राम रहे, वहीं अयोध्या है, दिन वहां माना जाता है जहां सूर्य का प्रकाश होता है। पूर्व बिहार के कोने-कोने में भगवान राम की स्मृतियां बिखरी पड़ी हैं। कहीं किंवदंतियों के रूप में तो कहीं परंपरा के रूप में। इन इलाकों में कभी भगवान राम आए थे। इसी परंपरा के तहत आज सुल्तानगंज में श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है।
शुरुआत भगवान महावीर की जन्मस्थली जमुई से करते हैं। माना जाता है कि यहीं के गिद्धेश्वर पर्वत पर माता सीता का हरण कर जा रहे रावण को जटायु ने रोकने की कोशिश की थी। गिद्धों के निवास के कारण ही पर्वत का नाम गिद्धेश्वर पड़ा। यहां गिद्धेश्वर नाम का एक प्रसिद्ध शिवलिंग भी है। मंदिर की दीवार पर रावण और जटायु की लड़ाई, राम द्वारा जटायु के अंतिम संस्कार की तस्वीर बनी है। गिद्धेश्वर मंदिर के पुजारी सीताराम पांडेय ने बताया कि इलाके के लोग मानते हैं कि यहीं पर रावण की जटायु की लड़ाई हुई थी। गिद्धेश्वर पर्वत के पास आज भी गिद्ध दिख जाते हैं।
पड़ोसी जिले लखीसराय में शृंगीऋषि धाम है। राजा दशरथ ने पुत्र की कामना से यहां आकर शृंगीऋषि से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार दशरथ और कौशल्या की पुत्री शांता थी। इन्हें दशरथ ने अंग जनपद के राजा रोमपाद को गोद दे दिया था। इन्हीं शांता का विवाह शृंगीऋषि से हुआ था। इस प्रकार महाराज दशरथ ने अपने दामाद शृंगीऋषि से पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया था। माना जाता है कि राजा दशरथ ने अपने चारों पुत्रों का मुंडन संस्कार भी शृंगीऋषि धाम में करवाया था।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखे गए आनंद रामायण के अनुसार रावण के वध के बाद वशिष्ठ ऋषि ने राम को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि मुद्गल के पास जाने को कहा था। मुंगेर में ऋषि मुद्गल का आश्रम था। उन्होंने कष्टहरणी घाट पर राम को यज्ञ करवाया था। इस दौरान आश्रम में रहकर माता सीता ने सूर्योपासना की थी। आज भी माता सीता के चरणचिह्न यहां पत्थर पर मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्योपासना के महत्वपूर्ण पर्व छठ की शुरुआत इसी स्थान से हुई। आनंद रामायण के ही अनुसार भगवान राम ने ही सर्वप्रथम सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाकर देवघर स्थित वैद्यनाथ शिवलिंग पर चढ़ाया था। आज भी यहां श्रावणी मेला लगता है और लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज में गंगा से जल भरकर देवघर स्थित शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण श्रावणी मेला नहीं लग सका।