Move to Jagran APP

Railways Ticket Booking Broker : अब रेल टिकट दलालों की खैर नहीं, चलेगा सीआइबी का डंडा, बनाई जा रही कुंडली

भागलपुर के गली-मोहल्लों में फर्जी आइडी पर रेलवे टिकट कट रही है। इससे निपटने के लिए सिविल ड्रेस में आरपीएफ और सीआइबी निगरानी कर रही है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 09:31 AM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 09:31 AM (IST)
Railways Ticket Booking Broker : अब रेल टिकट दलालों की खैर नहीं, चलेगा सीआइबी का डंडा, बनाई जा रही कुंडली
Railways Ticket Booking Broker : अब रेल टिकट दलालों की खैर नहीं, चलेगा सीआइबी का डंडा, बनाई जा रही कुंडली

भागलपुर, जेएनएन। सिल्क सिटी में साइबर कैफे की आड़ में रेलवे ई-टिकट का अवैध धंधा भी खूब चल रहा है। संचालक अवैध और फर्जी आइडी पर टिकट काट रहे हैं। हाल के महीनों में पकड़े गए साइबर संचालकों के पास ऐसे कई फर्जी दस्तावेज मिले हैं। फर्जी दस्तावेज के आधार पर व्यापक मात्रा में ई-टिकट काटते है। अब ऐसे संचालकों पर सीधी नजर रखी जा रही है। रेलवे सुरक्षा बल और सीआइबी (अपराध अनुसंधान शाखा) इनसे निपटने के लिए विशेष रणनीति तैयार की है। संचालकों की सूची बना रही है। वहीं, सिविल ड्रेस में टीम को निगरानी के लिए अलर्ट किया गया है। दरअसल, एक आइडी पर महज दस ई-टिकट महीने में काटी जा सकती है। लेकिन संचालक हर दिन लगभग दो दर्जन से अधिक ई-टिकट की बुकिंग करता है। जो रेलवे अधिनियम के खिलाफ है।

loksabha election banner

कई शहरों की सिल्क सिटी से कटती हैं टिकटें

यहां से दिल्ली, मुंबई, कोलकता, चेन्नई, यूपी, बंगलुरु, जयपुर, जम्मू कश्मीर, पूणे जैसे शहरों का टिकट बुकिंग हो रही है। आरपीएफ प्रभारी एके सिंह ने बताया कि ऐसी अवैध संचालकों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है।

स्लीपर में पांच सौ तो एसी क्लास में एक हजार ज्यादा रकम देकर ले रहे टिकट

कोविड स्पेशल ट्रेनों में भीड़ बढ़ने के साथ ही लंबी दूरी की ट्रेनों के तत्काल टिकट की मुंहमांगी कीमत जरूरतमंद यात्री देने को मजबूर हैं। इसका पूरा फायदा रेल टिकट की कालाबाजारी में लगे सिंडिकेट के सदस्य उठा रहे हैं। स्लीपर का कंफर्म टिकट दोगुने दाम से ज्यादा पर मिल रहे हैं। वहीं, एसी क्लास की टिकटों पर एक हजार से ज्यादा ली जा रही है। जिन्हें जरूरी सफर करना है वो तो सीधे एजेंट से ही संपर्क कर टिकटें ले रहे हैं। एजेंट जिसके नाम से टिकट काटी गई उसके नाम से पहचान पत्र भी बनाकर दे रहे हैं। पहचान पत्र का शुल्क अलग से देना पड़ता है।

नए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल

ई-तत्काल टिकट काटने में सिंडिकेट स्पॉर्क और रोबोफॉर्म नामक साइट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह है कि इससे तत्काल काटने में किसी तरह का झंझट नहीं होता है। इससे फटाफट टिकटें कट जा ती है। सिंडिकेट नई तकनीक का इस्तेमाल कर आइआरसीटीसी की साइट को हैक कर लेते हैं। ऐसे में तत्काल समय में साइट धीमा हो जाता है। इस कारण आम लोगों का ई-तत्काल टिकट नहीं कट पाते हैं। यह प्रक्रिया दस बजे से एसी क्लास और ग्यारह बजे स्लीपर क्लास में लागू होता है। एसी और स्लीपर क्लास के टिकट काटे जाने के समय से दस मिनट बाद ही दूसरे लोगों को ई-टिकट काटते हैं। तब तक तत्काल की सारी सीटें फुल हो जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.