Move to Jagran APP

रेलवे फिर से शुरू करेगा ये ड्रीम प्रोजेक्ट, ट्रेनों में फिर से लौटेगा 'लालू का जमाना'

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के कुल्‍हड़ में चाय के ड्रीम प्रोजेक्ट को रेलवे फिर शुरू करने जा रहा है। पर्यावरण अनुकूल होने के साथ ही कुंभकारों के लिए भी सुखद है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 09:19 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 09:44 AM (IST)
रेलवे फिर से शुरू करेगा ये ड्रीम प्रोजेक्ट, ट्रेनों में फिर से लौटेगा 'लालू का जमाना'
रेलवे फिर से शुरू करेगा ये ड्रीम प्रोजेक्ट, ट्रेनों में फिर से लौटेगा 'लालू का जमाना'

भागलपुर [रजनीश]। स्टेशन और रेलगाडिय़ों में कुल्हड़ वाली चाय का जमाना लौटने वाला है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने यह फैसला लिया है। नए साल से भागलपुर स्टेशन पर प्लास्टिक की जगह कुल्हड़ में चाय मिलने लगेगी। पहले चरण में विक्रमशिला एक्सप्रेस में इसे प्रयोग के तौर पर लागू किया जाएगा। बाद में अन्य ट्रेनों में भी लागू कर दिया जाएगा।

loksabha election banner

विदित हो कि वर्ष 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत कुल्हड़ योजना लागू की थी। दो साल चलने के बाद यह उदासीनता की भेंट चढ़ गई। रेलवे एक बार फिर से इस योजना को धरातल पर उतारने की तैयारी में है।

10 हजार कप रोज बिकती है चाय

अभी विक्रमशिला एक्सप्रेस, सूरत एक्सप्रेस, ब्रह्मपुत्र मेल, फरक्का एक्सप्रेस, अंग एक्सप्रेस पेंट्रीकार हैं। इसके अलावा जंक्शन पर 10 फूड प्लाजा हैं। रोजाना यहां 10 हजार कप चाय की खपत है। अकेले विक्रमशिला एक्सप्रेस तीन हजार कप चाय से ज्यादा की बिक्री होती है।

जिले के कुम्भकारों के बहुरेंगे दिन

कुल्हड़ योजना लागू होने के बाद यहां के कुम्भकारों के दिन बहुर जाएंगे। मिट्टी के बर्तनों की मांग कम होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब है। पर, इस योजना लागू होने के बाद काफी हद तक स्थिति में सुधार हो जाएगा। रेलवे की इस कदम से इस कदम से स्थानीय कुम्हारों को एक बड़ा बाजार मिलेगा।

पर्यावरण पर रहेगा नियंत्रण

कुल्हड़ में चाय बिकने के बाद पर्यावरण प्रदूषण पर भी अंकुश लगेगा। इससे पेपर और प्लास्टिक में पेय पदार्थ देने पर भी रोक लगेगी।

70 से 80 रुपये में 100 कुल्हड़

कुंभकार अहिल्या देवी ने कहा कि अभी कुल्हड़ का डिमांड ज्यादा नहीं है। शहर के कुछ चाय दुकानों में कुल्हड़ की आपूर्ति की जाती है। 70 से 80 रुपये में 100 कुल्हड़ बेची जाती है।

मांग के अनुसार होता है तैयार

सुरेंद्र पंडित ने बताया कि 30 वर्षों से चाक चला रहा हूं। कुल्हड़ की डिमांड खास नहीं है। 100 कुल्हड़ बनाने और पकाने में 30 से 40 रुपये खर्च आता है। पर, बाजार मूल्य नहीं मिल पाता।

नए साल से लागू कर दी जाएगी योजना

आइआरसीटीसी पूर्वी क्षेत्र के सुपरवाइजर मनीष कुमार कहते हैं कि रेलवे बोर्ड से कुल्हड़ योजना लागू कराए जाने का आदेश मिला है। इस पर मंथन चल रहा है। नए साल से लागू कर दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.