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लोको पायलट को फाटक बंद की मिलेगी पहले सूचना, बेपटरी नहीं होगी ट्रेनें, क्या है नई तकनीक...

अभी तक भागलपुर-किऊल रेल खंड के अब्जुगंज फाटक पर पहले नन इंटरलॉक सिस्टम से काम होता था। इसके तहत गेट मैन को स्टेशन से ट्रेन खुलने या गुजरने पर गेट बंद करने की सूचना मिलती थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 08:42 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 11:43 AM (IST)
लोको पायलट को फाटक बंद की मिलेगी पहले सूचना, बेपटरी नहीं होगी ट्रेनें, क्या है नई तकनीक...
लोको पायलट को फाटक बंद की मिलेगी पहले सूचना, बेपटरी नहीं होगी ट्रेनें, क्या है नई तकनीक...

भागलपुर, जेएनएन। लॉकडाउन में भले ही ट्रेन परिचालन नहीं हो रहा है। लेकिन, यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा पर विशेष फोकस किया जा रहा है। सितंबर के पहले सप्ताह से पटरी पर ट्रेनें फिर से दौड़ाने की कवायद तेज हो गई है। ऐसे में रेलवे भी सिग्नल, रेल फाटक, ओएफसी को दुरुस्त करने में जुटा है। मालदा मंडल की ओर से लगातार इस दिशा में कवायद चल रही है। इसके तहत भागलपुर-सुल्तानगंज स्टेशन स्थित अब्जुगंज रेल फाटक को इंटरलॉक सिग्नल सिस्टम से लैस कर दिया गया है। इसके लगने से अब ट्रेन चालक को रेल फाटक बंद और खुला होने की जानकारी पहले ही मिल जाएगी। इससे होने वाली रेल दुर्घटनाओं पर पूरी तरह नियंत्रण होगा। अब रेल मंडल के दूसरे रेल फाटकों को भी चिह्नित कर उसे भी इंटरलॉक सिस्टम से लैस किए जाएंगे।

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कैसे करेगा काम, जानिए सिस्टम को

रेल फाटक के दोनों ओर सिग्नल लगाए गए हैं। इस सिग्नल का फायदा लोगों को होगा। ट्रेन गुजरने के दौरान सिग्नल लाल रहेगा। वहीं, ट्रेन आगमन नहीं होने पर सिग्नल पीला रहेगा। ऐसे में लोग आराम से वाहन फाटक कर सकेंगे। लेकिन, इंटरलॉक सिस्टम लगने के बाद यह नौबत नहीं आएगी। गेटमैन को खुद सूचना मिल जाएगी और फाटक बंद हो जाएगा।

मैनुअल से मिला छुटकारा

अभी तक भागलपुर-किऊल रेल खंड के अब्जुगंज फाटक पर पहले नन इंटरलॉक सिस्टम से काम होता था। इसके तहत गेट मैन को स्टेशन से ट्रेन खुलने या गुजरने पर गेट बंद करने की सूचना मिलती थी। इसके बाद गेटमैन फाटक को बंद करता था। कभी-कभी फाटक के दोनों ओर वाहनों का दवाब ज्यादा होने के कारण फाटक देर से बंद करने की नौबत आ जाती थी। इस कारण ट्रेन को स्टेशन पर ही रोकना पड़ता था। इस कारण समय काफी बर्बाद होता था। कभी-कभार जाम की वजह से फाटक से पहले ट्रेन को खड़ी करने की नौबत भी आ जाती थी।


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