Startup india : राष्ट्रीय फलक पर फैलेगी कतरनी धान की खुशबू
कतरनी धान को बिहार की प्रतिष्ठा और ब्रांड के रूप में विकसित किया जा रहा है। किसानों को इसकी गुणवत्ता के साथ बाजार में अधिक कीमत मिल सके इस पर शोध प्रारंभ हो गया है।
भागलपुर [ललन तिवारी]। स्टार्टअप इंडिया के तहत बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में पौने चार करोड़ की लागत से जीआइ रजिस्ट्रेशन प्राप्त कतरनी की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी। इसे लेकर शोध प्रारंभ हो गया है। जल्द ही भागलपुरी कतरनी की खुशबू राष्ट्रीय फलक पर फैलेगी।
केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त वित्तीय सहयोग से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाइ) के तहत दो वर्ष के लिए 3 करोड़ 75 लाख की योजना मिली है। इसके तहत जैविक कतरनी की खेती, सुगंध के विकास में भूमि और जलवायु की भूमिका, लोकप्रिय बनाने के लिए तकनीकों का उपयोग, गुणवत्तापूर्ण विशुद्ध बीज किसानों तक उपलब्ध कराना, नकल व जालसाजी की रोकथाम के लिए डीएनए फिंगर प्रिंटिंग से जांच और पैकेजिंग से मार्केटिंग तक के लिए बाजार के लायक बनाने के लिए रिसर्च किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. आरके सोहाने ने कहा कि कतरनी धान को बिहार राज्य की प्रतिष्ठा और ब्रांड के रूप में विकसित किया जा रहा है। किसानों को इसकी गुणवत्ता के साथ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक कीमत मिल सके इस पर शोध प्रारंभ हो गया है। इसकी ब्रांडिंग की योजना बनाई जा रही है। चूड़ा और चावल की खास पैकेजिंग होगी, जिससे भागलपुर के साथ बिहार की पहचान बनेगी।
बीएयू सबौर कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय में शुरू किया गया रिसर्च, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 3 करोड़ 75 लाख की मिली योजना भागलपुरी कतरनी के समुचित विकास पर रिसर्च चल रहा है। आने वाले समय में कतरनी मौलिक गुणों के साथ अलग अंदाज नजर आएगी।