मजबूत PM चुनने को लोगों ने दी प्राथमिकता, विपक्षी दलों में नेतृत्व को लेकर थी भ्रम की स्थिति
महागठबंधन जहां मोदी सरकार के कामकाज को मात्र छलावा बता उसे अक्षम और भ्रष्टाचार में डूबी सरकार बता हटाने का अभियान चला रहा था वहीं दूसरी ओर राजग अपने काम को लेकर लोगों के बीच गया।
भागलपुर [जेएनएन]। 2019 का चुनाव कई मायने में असाधारण था। सारे मुद्दे किनारे हो गए और मोदी लाओ और मोदी हटाओ पर चुनाव लड़ा गया। उक्त बातें दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित अकादमिक बैठक में विपक्ष के लिए जनादेश का संदेश विषय पर टीएमबीयू के राजनीतिक विज्ञान विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष प्रो. विजय कुमार ने कही। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का महागठबंधन जहां मोदी सरकार के कामकाज को मात्र छलावा बता उसे अक्षम और भ्रष्टाचार में डूबी सरकार बता हटाने का अभियान चला रहा था, वहीं दूसरी ओर राजग अपने काम को लेकर लोगों के बीच गया। पांच साल में किए कार्यों को लोगों को बताया। विपक्षी दल चुनाव में जीत के लिए विभिन्न जातियों को टुकड़े-टुकड़े में बांट कर अपना हित साधने में लगी रही। वहीं राजग लोगों को जोडऩे की कोशिश करता रहा और बहुत हद तक सफल भी रहा।
विपक्षी दलों ने मोदी के कामकाज की खामियां गिनाते हुए चौकीदार चोर है के नारे लगाए। लोगों के बीच अपने कामकाज से बेहतर छवि बना चुके नरेंद्र मोदी पर विपक्षी दलों का यह प्रहार गलत लगा। नतीजा लोगों ने एकजुटता दिखा वोट के माध्यम से उन्हें करारा जवाब दिया।
प्रो. विजय ने कहा कि नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा। विपक्षी दलों की ओर से लाए गए सारे आरोप बिना सिर पैर के साबित हुए। चुनाव में एनडीए जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता अभियान जैसे कार्य गिनाए। केंद्र की योजनाओं का पैसा लोगों के खाते में सीधे गया। भ्रष्टाचार का कोई मौका विचौलिए नहीं उठा सके। इसका सीधा फायदा एनडीए के प्रत्याशियों को मिला।
एनडीए को प्रधानमंत्री प्रत्याशी के रूप में नरेंद्र मोदी जैसा सक्षम नेतृत्व था। विपक्षी दलों के महागठबंधन में राहुल गांधी, ममता बनर्जी, चंद्र बाबू नायडू, मायावती, अखिलेश यादव जैसे नेताओं के बीच नेतृत्व को लेकर संशय की स्थिति चुनाव तक बनी रही। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच मजबूर या मजबूत प्रधानमंत्री का स्लोगन स्वीकार्य हुआ। अपने कार्यकाल के अंतिम चरण में गरीबों के लिए अलग से दस प्रतिशत आरक्षण देकर मोदी सरकार ने जनमानस में अच्छा संदेश दिया। पहले से आरक्षण पा रही जातियों के कोटे से छेड़छाड़ किए बगैर दस प्रतिशत आरक्षण देने से जाति टूटने के बजाय जुड़ती चली गई। इसका फायदा एनडीए को भरपूर मिला। कुशल रणनीति के साथ एनडीए ने चुनाव लड़ा, वहीं विपक्षी दलों के महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर जिच, कौन बनेगा प्रधानमंत्री और चुनाव प्रचार तक को लेकर संशय की स्थिति अंत-अंत तक बनी रही।
डॉ. विजय ने बताया कि अपना देश समावेशी राष्ट्र है। इसमें हम बिखरे हुए नहीं हैं, लोगों ने राष्ट्र को सर्वोपरि माना। देश के टुकड़े-टुकड़े चाहने वालों को तरजीह नहीं दी। लोगों ने समाज को बांटने की कोशिश को रोका। बहुसंख्यक आबादी को एक करने की कोशिश में मोदी सफल रहे। लोगों ने महागठबंधन के उस वक्तव्य को कटाक्ष के रूप में लिया कि मोदी लोगों को पकौड़ा छानने की बात कह मजाक उड़ाते हैं। लोगों ने खासकर युवाओं ने उस भाषण को रोजगार पैदा करने के संदेश के रूप में लिया। मोदी लोगों से सीधा संपर्क साधने में सफल रहे। लोगों ने परिवार हित की राजनीति करने वाले दलों को नकार दिया। इसके पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए संपादकीय प्रभारी संयम कुमार ने कहा कि इस बार के चुनाव परिणाम ने देश के बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को सकते में डाल दिया। चुनाव पहले भी हुए। तल्खी पहले के चुनावों में भी हुई लेकिन इस बार के चुनाव में इसका स्तर निम्न था। विपक्षी दलों के मुद्दे में जमीनी हकीकत नहीं थी। नतीजा एनडीए को इसका लाभ मिला। राष्ट्रहित, सैन्य कार्रवाई, गैस, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं जैसे मसले पर एनडीए को लोगों ने स्वीकारा।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप