मातृ-पितृ पूजन दिवस : 'ऐसी संस्कृति भारत में ही संभव है इंडिया में नहीं'
जहां एक ओर 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे का शोर रहता है। वहीं भागलपुर में युवाओं की टोली ने आज के दिन मातृ—पितृ पूजन दिवस आयोजित की। जिसकी सबों ने सराहना की है।
भागलपुर [दिलीप कुमार शुक्ला]। जय प्रकाश उद्यान के योग स्थल के पास युवा सेवा समिति ने 14 फरवरी 2019 को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया। इस अवसर पर शहर के विभिन्न विद्यालयों से सैकड़ों बच्चे अपने माता-पिता के साथ वहां पहुंचे थे। सभी ने सामूहिक रूप से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ माता पिता का पूजन किया।
...और छलक उठा मां और पिता के आंखों से आसूं
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच जब सभी बच्चे अपने माता-पिता का पूजन कर रहे थे। उस समय सभी की आंखें छलक गईं। समारोह में अद्भूत नजारा तब दिखा जब संतान अपने माता-पिता के सिर पर तिलक लगाकर परिक्रमा कर रहे थे। माता-पिता को फूलों का माला पहनाया गया। वैदिक रीति से पूजन हुई। चरण पर सिर रखकर आशीर्वाद मांगा। मां-पिता की आरती की। अंत में मां-पिता ने अपने पहने हुए माला को खोलकर बच्चे को पहनाकर उन्हें गले लगा लिया। यह दृश्य सबके हृदय को छू गया। सभी लोगों के आंखों से आंसू छलक गए। मार्मिक अनुभूति हुई।
भारत की आत्मा यहां की संस्कृति है
मुख्य वक्ता विद्या मंदिर के उत्तर-पूर्व क्षेत्र संगठन मंत्री दिवाकर घोष ने कहा कि ऐसी संस्कृति भारत में ही संभव है इंडिया में नहीं। उन्होंने कहा कि आज जो दृश्य यहां देखने के लिए मिली वह अद्भुत है। यह समारोह आज के दिन के लिए प्रेरणादायी समारोह बनेगा। इसी प्रकार के आयोजन से जनजागृति आएगी। उन्होंने भारतीय संस्कृति की रक्षा का जयघोष करने का सभी से आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन शैली और यहां की परंपरा की ओर आज फिर से सभी लोग अग्रसारित होने लगे है, यह भारत के लिए सुखद है। भारत की आत्मा यहां की संस्कृति है और इस संस्कृति की रक्षा करना हमसबों का कर्तव्य।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महर्षि मेंहीं आश्रम के संत स्वामी निर्मलानंद जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति काफी पुरानी संस्कृति है। उन्होंने राम, कृष्ण की मातृ-पितृ भक्ति पर चर्चा की। पुण्डरीक के जीवन से प्रेरणा लेने को कहा। उन्होंने बिट्ठल भगवान की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि माता-पिता की सेवा और आदर के कारण ही भगवान विष्णु को बिट्ठल के रूप में अवतरित होना पड़ा।
तिमांविवि के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. क्षमेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि इस तरह के आयोजन को जन-जन पहुंचाने की आज जरुरत है। हम पाश्चात्य की ओर जा रहे हैं, जो हमें नष्ट कर रही है। हमें अपनी संस्कृति के अनुरूप ही जीवन यापन करनी चाहिए। उन्होंने माता-पिता से अपील की कि बच्चों को प्रारंभ से ही संस्कारी बनाएं। उन्होंने कहा माता-पिता ही पहले गुरु होते हैं।
उप महापौर राजेश वर्मा ने अपनी मातृ-पितृ भक्ति की चर्चा की और कहा कि हम जब भी घर से निकलते ही अपने माता-पिता को प्रणाम करके ही निकलते हैं। आज भी अगर दो शब्द बोल पा रहे हैं तो यह उन्हीं की देन है। उन्होंने सभी से अपील की कि घर से निकलने से पहले अपने माता-पिता को प्रणाम करके ही निकलें। उनके आशीर्वाद से आपका जीवन धन्य होगा और आप अपने उद्देश्य में सफल होंगे। वे कार्यक्रम को देखकर काफी अभिभूत हुए। उन्होंने ऐसा भव्य आयोजन करने के लिए युवा सेवा समिति को धन्यवाद दिया।
पूर्व उप महापौर डॉ. प्रीति शेखर ने कहा कि संस्कारयुक्त बच्चे ही देश के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए बच्चों को संस्कारी बनाएं। भारतीय संस्कृति की शिक्षा दें। अभिभावक जैसा चाहेंगे, बच्चे का निर्माण वैसा ही होगा। मातृ-पितृ दिवस पर इस तरह के आयोजन से लोगों में प्रेरणा जगेगी। जरुरत है इसी प्रकार की संस्कृति को आगे बढ़ाने की। ताकि भारत पुन: विश्वगुरु बन सके। उन्होंने बच्चों को ऐसी शिक्षा देने की बात कही, जिसमें चारित्रिक और देशभक्ति का भी भाव हो। यह आयोजन युवा सेवा समिति की अनूठी पहल है।
प्रो. मथुरा दूबे ने स्वागत भाषण और प्रस्तावना प्रस्तुत की। उन्होंने मातृ-पितृ भक्ति के कई उदाहरण दिए। आशीर्वाद कोचिंग के निदेशक गोपाल झा ने भारतीय परंपरा को जीवित रखने का आह्वान किया। ताकि देश सोने की चिडिय़ा बन जाए।
गीतकार राजकुमार ने कहा कि भारत की नित नूतन चिर पुरातन सनातन संस्कृति हमें जीने की कला सिखाती है। मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः, आचार्य देवो भवः के मंत्र से अभिमंत्रित कर हमें संस्कारित करती है। इसी कड़ी को बलवती करने के निमित्त आज युवा सेवा समिति के सदप्रयास से जो यह 'मातृ-पितृ पूजन का आयोजन किया गया है, स्तुत्य है। क्योंकि माता-पिता के प्रति भक्ति, प्रेम, श्रद्धा और निर्विकार सेवा के बिना मनुष्य के अन्तर्निहित शक्तियों का सम्यक विकास विल्कुल हीं असंभव है। आज समाज में दुख, कष्ट, दरिद्रता, भ्रष्टाचार, व्यभिचार और अनुशासनहीनता के मूल कारण माता-पिता के प्रति श्रद्धा, भक्ति और सेवा भाव का नहीं होना है। अस्तु हमें इस प्रकार के अनुष्ठान को चरित्रगत करने की आवश्यकता है।
प्यारे हिन्द ने 'प्रेम नहीं जो एक गुलाब के डंटल का मोहताज बने, प्रेम नहीं टेडी, चॉकलेट व डिफ्टों का वो हार' बने कविता पेश की। इस अवसर पर सरोज वर्मा, नीतीश यादव, अवनीकांत शर्मा, अमर कुमार, विक्रांत कुमार, प्यारे हिन्द, कुणाल यादव, रौशन, मंडल कुमार साहू, कुंदन कुमार, दिनेश, अमित कुमार सिंह, नीरज, अमित कुमार वर्मा, रवि कुमार, मुकेश कुमार, केपी शर्मा, समीर गुप्ता, विक्की, खुशी आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन दिलीप कुमार शुक्ला ने किया। धन्यवाद ज्ञापन योगी राजीव मिश्रा ने किया।
मां-बाप को मत भूलना
कार्यक्रम में रवि शंकर रवि और प्रशांत चौबे ने हारमोनियम और तबला पर कई भजन प्रस्तुत किए। रवि शंकर रवि ने ऐसा प्यार बहा दे मैया, मां-बाप को मत भूलना, वक्त का ये परिंदा रुका है कहां आदि भजन पेश किए। उनके भजनों से सभी मुग्ध हो उठे। कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने ऐसा समां बांधा कि संपूर्ण परिसर मां-पिता के भक्ति में डूब गया।
दिव्य वेश भूषा और आरती थाली सजाओ प्रतियोगिता
इससे पहले दिव्य वेश भूषा प्रतियोगिता और आरती थाली सजाओ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इसमें मानसी, मानव, प्रज्ञा, अरहण पांडेय, सुप्रिया, पारस, विद्या रानी, सिद्धार्थ और वेदांस कुमार विजेता बने। इन्हें सभी अतिथियों ने उपहार देकर पुरस्कृत किया। इसके अलावा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और सांत्वना पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर शहर के कई संगठनों के कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि, बुद्धिजीवी, साहित्यकार समेत हजारों लोग उपस्थित थे।
सभी पार्टी के कार्यकर्ता थे मौजूद, पर नहीं दिखी कोई राजनीति
इस कार्यक्रम में सबसे बड़ी बात जो सामने आई वह यह कि समारोह पूर्ण से सामाजिक था। भारतीय संस्कृति के अनुरूप कार्यक्रम हो रहे थे। समारोह में विभिन्न राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं को भी बुलाया गया था। इस दौरान कई पार्टियों के लोग वहां आए। सभी ने कार्यक्रम की सराहना की। मंच से भी किसी पार्टी का नाम नहीं लिया गया। कार्यक्रम पूर्ण रूप से सभी को जोडऩे के लिए था।