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गर्भवती महिलाओं को हो रही पौष्टिक आहार की कमी, बच्चे हो रहे कमजोर, इस तरह रखें सेहत का ध्यान

गर्भवती महिलाओं के खान-पान का विशेष ध्यान रखें। इसका असर बच्चों पर पड़ता है। इसका गवाह अनुमंडल अस्पताल त्रिवेणीगंज का यह आंकड़ा है। पिछले 6 महीने में अस्पताल में 3182 बच्चों का जन्म हुआ जिसमें 111 कमजोर बच्चे का जन्म हुआ है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 11:10 AM (IST)
गर्भवती महिलाओं को हो रही पौष्टिक आहार की कमी, बच्चे हो रहे कमजोर, इस तरह रखें सेहत का ध्यान
गर्भवती महिलाओं के खान-पान का विशेष ध्यान रखें।

 संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल)। गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार की कमी और इनकी नियमित स्वास्थ्य जांच नहीं हो पाने के कारण समय से पूर्व बच्चों का जन्म हो जाता है। नवजात के फेफड़ों का पूरी तरह से विकास नहीं हो पाता है। नतीजा होता है कि ऐसे बच्चों का संपूर्ण विकास नहीं हो पाता और वे कमजोर रहते हैं। अनुमंडल अस्पताल त्रिवेणीगंज के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि पिछले 6 महीने में अस्पताल में 3182 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें 111 कमजोर बच्चे का जन्म हुआ है।

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आशा कार्यकर्ताओं की है जिम्मेदारी

आशा कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह गर्भवती में होने वाली महिलाओं को अस्पताल ले जाकर जांच करवाएं साथ उन्हें पौष्टिक आहार के बारे में भी जानकारी दें ताकि गर्भस्थ शिशु का विकास पूरी तरह हो सके। अस्पताल में प्रसव के लिए आनेवाली ज्यादातर महिलाएं ऐसी होती हैं जिनकी कभी जांच ही नहीं हुई होती है। इस मामले में कार्रवाई नहीं होने से आशा कार्यकर्ता भी लापरवाह नजर आती हैं। उन्हें सिर्फ प्रसव करवाने भर से मतलब रहता है ताकि उन्हें प्रोत्साहन राशि मिल सके।

कहती हैं अस्पताल के जीएनएम

अनुमंडल अस्पताल के जीएनएम रूपम कुमारी, खुशबू कुमारी के मुताबिक प्रसव के लिए आने वाली ज्यादातर महिलाओं की जांच कभी की ही नहीं गई होती है। प्रसव वेदना होते ही ये अस्पताल आ जाती हैं। जांच होती तो बच्चादानी में संक्रमण, खून की कमी, गर्भाशय में बीमारी, हेपेटाइटिस, यूरिन इंफेक्शन, थायराइड आदि बीमारी की पहचान हो जाती। इनका इलाज भी आसान है। बताया कि इसके अलावा खून और पौष्टिक आहार की कमी, गिरना, चोट लगना भी समय से पूर्व प्रसव का कारण है। समय से पूर्व जन्मे बच्चे पोषण नहीं मिलने के कारण कमजोर हो जाते हैं।

36 सप्ताह में गर्भस्थ शिशु का होता है पूर्ण विकास

36 सप्ताह यानी नौ माह में गर्भस्थ शिशु का पूर्ण विकास होता है। प्रसव पूर्व सलाहकार मो. इश्तियाक अहमद के अनुसार अगर 7 या 8 माह में बच्चे का जन्म होता है तो फेफड़ों का विकास पूरा नहीं होता है, जिस कारण बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है साथ ही वजन भी कम रहता है। ऐसे बच्चों को इमरजेंसी वार्ड में इलाज करवाने के लिए कहा जाता है। डॉक्टर बताते हैं कि गर्भवती होते ही महिलाओं को नियमित जांच करवानी चाहिए। साथ ही खून की कमी ना हो इसके लिए दूध, मौसमी फल, गुड़ आदि लेना चाहिए समय पर भोजन करना व आठ घंटे की नींद जरूरी है।

अनुमंडल अस्पताल में प्रसव व कमजोर

बच्चे की संख्या।

सितंबर 2020 -625-20

अक्टूबर 2020-691-15

नवंबर 2020-587-18

दिसंबर 2020-505-23

जनवरी 2021-464-14

फरवरी 2021-410-14  


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