सिंचाई विभाग के भवन में चल रहा है सुपौल जिला का प्रतापगंज प्रखंड कार्यालय
सुपौल जिला का प्रतापगंज प्रखंड अपने स्थापना का 26 वर्ष पूरा कर लेने के बाद भी भवनविहीन है। जहां से प्रखंड से पंचायतों तक विकास की योजनाएं संचालित होती है वहीं प्रखंड मुख्यालय को अपना भवन नहीं है। अब तक यह कार्यालय सिंचाई विभाग में चल रहा है।
जागरण संवाददाता, सुपौल। 1994 में प्रखंड का दर्जा मिलने के बाद भी प्रतापगंज प्रखंड व अंचल कार्यालय सिंचाई विभाग के भवन में चल रहा है। 26 वर्ष का लंबा अंतराल बीत जाने बाद भी यहां न तो पदाधिकारियों और कर्मियों के बैठने की समुचित जगह है और ना ही अधिकारियों के रहने का आवास है। ऐसे में कार्यालय में तो कर्मियों को परेशानी हाेती ही है साथ ही सरकारी आवास नहीं रहने के कारण कर्मियों को इधर-उधर भाड़े के मकान में रहना पड़ता है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि जहां से पूरे प्रखंड में विकास की योजनाएं संचालित होती है वहीं मुख्यालय अपने भवन को तसर रहा है। शासन प्रशासन की भी इस ओर कोई नजरे इनायत नहीं होती ।
राघोपुर और छातापुर की पंचायतों को जोड़कर बना यह प्रखंड
लंबे जन आंदोलन के बाद 17 नवंबर 1994 को लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में प्रतापगंज को प्रखंड का दर्जा मिला। राघोपुर प्रखंड व छातापुर प्रखंड की नौ पंचायतें भवानीपुर उत्तर, भवानीपुर दक्षिण, चिलौनी उत्तर, चिलौनी दक्षिण, तेकुना, सुखानगर, सुर्यापुर, श्रीपुर एवं गोविंदपुर को मिलाकर प्रतापगंज को प्रखंड का दर्जा दिया गया था। इसकी स्थापना तत्काल सिंचाई विभाग के भवन में की गई। तब से आज तक प्रखंड कार्यालय सिंचाई भवन के कार्यालय में चल रहा है।
तीन कमरों में होता है कार्य निष्पादन
इसी भवन के तीन छोटे-छोटे कमरों में विभिन्न विभागों के कार्याें का निष्पादन होता है। अंचल कार्यालय का नजारत अधूरे मकान पर टीन का शेड डालकर संचालित किया जा रहा है। भवन के अभाव में जहां कार्यालय का कार्य प्रभावित होता है वहीं आमलोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कहते है अंचलाधिकारी
सीओ अबू नसर बताते हैं कि जमीन अधिग्रहण को ले कागजात जिला कार्यालय को भेजा जाता है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया वर्षों पूर्व पूरी कर जिला को रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है। विभागीय निर्देश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।