Move to Jagran APP

Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष प्रारंभ, तिथि अनुसार करें पूर्वजों का श्राद्ध, भागलपुर में गंगा किनारे तर्पण का विधान

Pitru Paksha 2021 सोमवार से शुरू हो रहा है। इन्हें गरू दिन भी कहते हैं। पितरों के श्राद्ध के लिए ये दिन विशेष होते हैं। इस बार 17 दिन पितृपक्ष रहेगा। गया जी में पिंडदान का अपना अलग महत्व है। भागलपुर में गंगा किनारे भी तर्पण करने लोग पहुंचते हैं।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 07:51 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 11:17 AM (IST)
Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष प्रारंभ, तिथि अनुसार करें पूर्वजों का श्राद्ध, भागलपुर में गंगा किनारे तर्पण का विधान
Pitru Paksha 2021 : पूर्वजों के मोक्ष के लिए पितृपक्ष।

आनलाइन डेस्क, भागलपुर। सोमवार 20 सितंबर से पितृपक्ष 2021 (Pitru Paksha 2021) शुरू हो रहा है। ये 6 अक्टूबर तक माने 17 दिन तक रहेगा। पितृपक्ष में धार्मिक एवं मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। इस बार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष शुरू होंगे।अश्विनी मास की अमावस्या तिथि यानी 6 अक्टूबर तक रहेंगे। सनातन धर्म के अनुसार पितरों (पूर्वजों) के मोक्ष के लिए ये दिन बेहद खास होते हैं। श्रद्धा भाव के साथ पितरों की पूजा अर्चना और उन्हें तर्पण (श्राद्ध) करने से उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होती है। वैसे तो गयाजी में पिंडदान का विशेष विधान है। वहीं लोग अपने घर से भी पिंडदान और श्राद्धकर्म पूरा करते हैं। भागलपुर में गंगा किनारे सुबह तर्पण करते हुए देखा जा सकता है।

prime article banner

नदियों के किनारे तर्पण का अपना अलग महत्व है। तर्पण अर्थात जल अर्पित करना, इसके लिए प्रतिदिन सुबह उठकर दैनिक क्रिया पूरी करने के बाद स्नान कर शुद्ध साफ कपड़े पहनने के बाद तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ जाएं। सबसे पहले अपने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर दोनों हाथ जोड़कर अपने पितरों को ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें। इस दौरान अपने पितरों को नाम लेते हुए उसे जमीन में या नदी में प्रवाहित करें। वहीं पितरों से अपनी भूल पर माफी मांगते हुए उनसे सुख और समृद्धि की कामना करें। तिल, चावल, जौ को विशेष तौर पर श्राद्ध कर्म में सम्मलित करें।

अंतिम पुरुषार्थ मोक्ष: मनुष्य के लिये वेदों में चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं। ऐसे में अंतिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति है। तीन पुरुषार्थ सार्थक हैं, तब ही मोक्ष सुलभ हो सकता है।

पितृपक्ष का क्या है अर्थ: पितृपक्ष का शाब्दिक अर्थ होता है पितरों का पखवाड़ा, यानि कि पूर्वजों के लिए 15 दिन।

पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार भी श्राद्ध किया जाता है। मानें जिस तिथि पर जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है, उसी तिथि पर उस व्यक्ति का श्राद्ध करने का प्रवधान है। अगर, मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है, तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति का श्राद्ध अमावस्या तिथि पर कर सकते हैं। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध योग कहा जाता है। श्राद्ध के दिन अपने ब्राह्मणों को भोज खिलाकर दान पुण्य करें। श्राद्ध के दिन बनाए गए भोजन को कौओं, गाय और श्वान को भी खिलाना चाहिए।

एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड किया जा सकता है। जिस तिथि को माता-पिता, दादा-दादी आदि परिजनों की मृत्यु होती है, उस तिथि पर इन सोलह दिनों में उनका श्राद्ध करना उत्तम रहता है। पितरों के पुत्र या पौत्र द्वारा श्राद्ध किया जाता है तो पितृ लोक में भ्रमण करने से मुक्ति मिलकर पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है।

ना करें ये काम-नाराज हो जाएंगे पूर्वज

  • पितृपक्ष में  मांस, मदिरा के साथ तामसी भोजन का भी सेवन परहेज करें।
  • घर में कलह देख पूर्वज नाराज होते हैं इसलिए क्रोध से भी बचें और खुशी के साथ रहें।
  • जरूरतमंद  को भोजन और वस्त्र का दान करें।
  • कोई शुभ काम न करें, खरीददारी से बचें, नया व्यापार शुरू करने से बचें।

पितृपक्ष पक्ष की तिथियां

20 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध, 21 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध, 22 सितंबर को द्वितीया श्राद्ध, 23 सितंबर को तृतीया श्राद्ध, 24 सितंबर को तृतीया श्राद्ध, 25 सितंबर को पंचमी श्राद्ध, 26 और 27 सितंबर को षष्ठी श्राद्ध, 28 सितंबर को सप्तमी श्राद्ध, 29 सितंबर को अष्टमी श्राद्ध, 30 सितंबर को नवमी श्राद्ध, 1 अक्टूबर को दशमी श्राद्ध, 2 अक्टूबर को एकादशी श्राद्ध, 3 अक्टूबर को  द्वादशी श्राद्ध, 4 अक्टूबर को त्रयोदशी श्राद्ध, 5 अक्टूबर को चतुर्दशी श्राद्ध और 6 अक्टूबर अमावस्या श्राद्ध के साथ पितृपक्ष समाप्त होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.