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गेहूं फसल पर कीट की मार, किसानों का हाल बेहाल, आइये जाने कैसे करें फसलों का बचाव

जिले के मेहनतकश किसानों को प्राकृतिक आपदा के साथ साथ कीट पतंगों का भी प्रकोप झेलनी पड़ रही है। मेहनत और लागत के हिसाब से उन्‍हें नहीं मिलता फसल का उचित मूल्य खेती उनके लिए अब घाटे का सौदा बनते जा रहा है।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 04:02 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 04:02 PM (IST)
गेहूं फसल पर कीट की मार, किसानों का हाल बेहाल, आइये जाने कैसे करें फसलों का बचाव
गेहूं फसल में कीट के बढते प्रकोप से किसानों की बढ़ी परेशानी

जागरण संवाददाता, सुपौल । किसानों ने गेहूं की खेती जिस उम्मीद से की उसपर पानी फिरता नजर आ रहा है। फसल में कीड़े का प्रकोप होने से किसान खून के आंसू रोने को विवश हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि बार-बार उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है। एक तो फसलों को कई तरह की बीमारी का सामना करना पड़ रहा है और जब फसल तैयार हो जाती है तो उसका उचित मूल्य नहीं मिलता है।

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मक्‍का कम और गेहूं की इस बार किसानों ने की है ज्‍यादा खेती

पिछले साल किसानों ने मक्का की खेती अधिक की लेकिन उसका उचित मूल्य किसानों को नहीं मिला इसलिए इसबार पिछले वर्ष की तुलना में काफी ज्यादा गेहूं की खेती हुई है। किसानों ने पूरे जोर-शोर से गेंहू की खेती की। पौधा भी बहुत अच्छा निकला, समय से खरपतवार और उर्वरक का प्रबंधन भी किया गया लेकिन कीट-व्याधि के अत्यधिक प्रकोप से फसल पूरी तरह से चौपट हो होती जा रही है। किसानों का कहना है कि अब तक सरसों के फसल में लाही कीट का प्रकोप होता था लेकिन इस बार इसका प्रकोप गेहूं पर देखा जा रहा है। बता दें कि खरीफ सीजन में धान में भी आर्मी कीट के प्रकोप से किसानों की कमर टूट गई थी। तैयार धान की फसल को भी आर्मी कीट ने नहीं छोड़ा था। फिलहाल किसानों के मन में गेहूं फसल को लेकर डर समाया हुआ है।

कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर के विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार बताते हैं कि अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्म के बीज, खाद और ङ्क्षसचाई के साथ हानिकारक कीटों का उचित समय पर नियंत्रण भी अति आवश्यक हैं। लाही कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड 17.8 फीसद, एसएल का मात्रा 100 मिली के साथ थियोमेथोसाम 50 ग्राम और एग्रोमिन/धनजाइम 250 मिली को 150 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करना चाहिए।

कहते हैं पौधा संरक्षण पदाधिकारी

सहायक निदेशक पौधा संरक्षण पदाधिकारी विजय रंजन बताते हैं कि इसके लिए सभी प्रखंडों के सभी पंचायत के किसान सलाहकारों को निर्देश दिया गया है कि गेंहू और मक्का फसल में कीट व्याधि के प्रकोप होने पर तत्काल ही विभाग को सूचित किया जाए और सभी प्रखंड में चिह्नित कीटनाशक विक्रेता के पास से किसानों को अनुमोदित कीटनाशक की खरीद कराए। कीटनाशक विक्रेता से अनुमोदित कीटनाशक की खरीद करने पर किसानों को खरीद मूल्य पर 50 फीसद अनुदान का लाभ दिया जा रहा है।

जानिए किसानों की हकीकत

किसानों को गेंहू खेत में लगे लाही एवं अन्य कीट के नियंत्रण हेतु अनुमोदित कीटनाशक की जानकारी नहीं के बराबर है। किसान अपने गांव के नजदीकी खाद विक्रेता के पास जाकर कोई भी कीटनाशक लाकर अपने खेत में छिड़काव करते हैं जिससे कि आधा-अधूरा कीट खत्म होता है, लेकिन समस्या बरकरार रहती है। 50 फीसद अनुदान का लाभ लेना टेढ़ी खीर है, क्योंकि अब तक पिछले वर्ष का गेंहू खेती प्रत्यक्षण, धान खेती का प्रत्यक्षण और फिर इस वर्ष का गेंहू खेती का प्रत्यक्षण की अनुदान राशि भी किसानों को नहीं मिल पाई है।

कहते हैं किसान

प्रखंड के किसान परमेश्वर सिंह  यादव बताते हैं कि अभी तक पिछले वर्ष मिले गेंहू और मक्का की कीमत से हालात खराब है। अब गेंहू में लाही कीट का प्रकोप दम निकाल रहा है। नरहा गांव के किसान कामेश्वर यादव बताते हैं कि लाही के लिए अनुमोदित कीटनाशक का मूल्य भी बहुत ज्यादा है और उपलब्धता भी कम है।


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