बिहार का एक सरकारी विद्यालय, जिस पर गर्व करते हैं लोग, ये है वजह
बिहार का एक सरकारी विद्यालय ऐसा है जहां बच्चों की उपस्थिति शत-प्रतिशत रहती है। सभी बच्चे पोशाक में विद्यालय आते हैं। यहां नामांकित सभी बच्चों का आधार कार्ड व अपना बैंक अकाउंट है।
जमुई [मनोज कुमार राय]। सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही दिमाग में मासूम बचपन और बदहाल शैक्षणिक व्यवस्था की तस्वीर उभरती है। इसके उलट सोनों में एक ऐसा प्राथमिक विद्यालय है, जो संवरते बचपन और उत्कृष्ट शिक्षण कार्य के लिए चर्चित है। बिहार के जमुई जिले के सोनो स्थित प्राथमिक विद्यालय प्रखंड कोलोनी ने अपनी अलग पहचान गढ़ी है।
प्रखंड परिसर में स्थित इस विद्यालय में 61 विद्यार्थी नामांकित हैं। आश्चर्य तो यह है कि यहां रोज बच्चों की उपस्थिति शत-प्रतिशत रहती है। सभी बच्चे पोशाक में विद्यालय आते हैं। यहां नामांकित सभी बच्चों का आधार कार्ड व अपना बैंक अकाउंट है। बच्चे व शिक्षक समय पर स्कूल आते हैं। मध्याह्न भोजन योजना का संचालन यहां निर्धारित मेन्यू के अनुसार किया जाता है।
मिला उत्कृष्ट विद्यालय का सम्मान
वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बरहट आगमन पर प्राथमिक विद्यालय प्रखंड कॉलोनी को जिले के श्रेष्ठ विद्यालय का सम्मान प्राप्त हुआ था। बिहार शिक्षा परियोजना मुंगेर के तत्कालीन जिला कार्यक्रम समन्वयक तथा जमुई के तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक नंदकिशोर राम ने उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक सोफेन्द्र पासवान को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया था।
वर्ष 2013 में शिक्षक दिवस के मौके पर यहां के प्रधानाध्यापक को उत्कृष्ट शैक्षणिक कार्य के लिए तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी बीएन झा ने सम्मानित किया था। वर्ष 2007 में तत्कालीन डीएम रामशोभित पासवान ने इस विद्यालय का निरीक्षण करने के बाद कहा कि ऐसे सरकारी विद्यालय देखकर उन्हें गर्व की अनुभूति होती है।
शिक्षकों का मंदिर है विद्यालय
विद्यालय के प्रधानाध्यापक सोफेन्द्र पासवान कहते हैं कि विद्यालय ही उनका मंदिर है। वे अपनी सारी ऊर्जा विद्यालय तथा वहां के छात्र-छात्राओं पर खर्च करते हैं। यही वजह है कि उक्त विद्यालय में छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ कराना संभव हो पाता है। इसके लिए वे विद्यालय में पदस्थापित अन्य दो शिक्षकों को कार्य में सहयोग के लिए धन्यवाद देते हैं।
विद्यालय के शिक्षक विष्णुदेव रविदास कहते हैं कि यहां के बच्चे काफी अनुशासित हैं। स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को नियमित होम वर्क भी दिया जाता है जिसे अगले दिन शिक्षक जांचते हैं। शिक्षक रतन कुमार वर्णवाल बताते हैं कि इस विद्यालय का शिक्षक होकर उन्हें गर्व की अनुभूति होती है। वह अपने बच्चों में प्रतियोगिता की भावना विकसित करते हैं ताकि उन्हें आगे बढऩे की प्रेरणा मिले।