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आश्वासनों के सहारे बाढ़ की तबाही का गवाह बनते हैं सीमांचल के लोग

पिछले दस सालों में बाढ़ की समस्या और भी बढ़ गई है। क्योंकि जिले में बहने वाली बकरा नूना रतवा व परमान आदि में गाद भर गया है। अब तो नेपाल में हल्की बारिश होने पर ही अररिया जिले के दर्जनों गांवों में पानी प्रवेश कर जाता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 08:31 PM (IST)
आश्वासनों के सहारे बाढ़ की तबाही का गवाह बनते हैं सीमांचल के लोग
अररिया के सिटकी में बाढ से क्षतिग्रस्त रोड

अररिया, जेएनएन। जिले के सभी विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ है। चुनाव के समय बड़ा मुद्दा के तौर पर प्रत्याशी इसका जिक्र करते हैं। लेकिन चुनाव के बाद इसे भूल जाते हैं। दशकों से ये समस्या बनी हुई है। पिछले दस सालों में बाढ़ की समस्या और भी बढ़ गई है। क्योंकि जिले में बहने वाली बकरा, नूना, रतवा व परमान आदि में गाद भर गया है।

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अब तो नेपाल में हल्की बारिश होने पर ही अररिया जिले के दर्जनों गांवों में पानी प्रवेश कर जाता है। ऐसे में लोगों के सामने खाने से लेकर पानी पीने तक की समस्या हो जाती है। हर वर्ष बाढ़ से हजारों लोग बेघर हो जाते हैं। नदियों के कटान से जहां घर कट जाते हैं वहीं खेतों में लहलहाती फसलें बर्बाद हो जाती है। किसान मजदूरी को विवश होते हैं। बाढ़ की मार झेल रहे लोग पत्नी और छोटे छोटे बच्चों के साथ पलायन कर जाते हैं। यूं तो पूरा जिला बाढ़ प्रभावित है खासकर जोकीहाट, अररिया, सिकटी, फारबिसगंज और नरपतगंज विधानसभा हर वर्ष बाढ़ से खास प्रभावित होता है।

जिले में हर वर्ष बाढ से तबाही मचाने वाली प्रमुख नदियों में परमान, बकरा, कनकई प्रमुख है। बाढ की समस्या से निजात दिलाने के लिए महानंदा बेसिन प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने की चुनाव के दौरान लंबी लंबी बातें सभी राजनीतिक दलों केे नेताओं द्वारा कही जाती है लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं निकलता है। 2017 में आई भीषण बाढ़ ने अररिया शहर में काफी बर्बादी की थी लेकिन आज तीन वर्ष बीतने के बावजूद परमान नदी पर बांध निर्माण नही हो सका जिससे बाढ़ से जिला मुख्यालय को बचाया जा सके। लोग बाढ़ की बात याद कर सिहर जाते हैं। बाढ़ के दौरान ध्वस्त हुई पुल पुलियों का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका है। बाढ़ के कारण एक दर्जन से अधिक गांव के लोग बरसात के मौसम मेें प्रखंड व जिला मुख्यालय आने के लिए नाव का ही सहारा लेते हैं। लेकिन इसपर ठोस कार्ययोजना नहीं बन सकी है।

जिले में बाढ़ की समस्या लंबे समय से है। उन्होंने बाढ़ की समस्या के निदान के लिए डेढ़ सौ से अधिक पुल पुलिए का शिलान्यास किया है। कई पुल का निर्माण अंतिम चरण में है। कोरोना के चलते लॉकडाउन में कार्य प्रभावित हुआ है। अगले पांच छह माह में कई पुल बनकर तैयार हो जाएगा। बाढ़ की समस्या का बहुत हद तक निदान हो जाएगा। नदी जोड़ परियोजना के लिए भी वे लगे हुए हैं। आने वाले समय में कार्य जरूर होगा।

प्रदीप कुमार सिंह, सांसद, अररिया।


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