उजड़ते गांव की अंतहीन त्रासदी, 2005 से कटाव की पीड़ा झेलने को विवश हैं यहां के लोग
खगडि़या के अलौली प्रखंड निवासी बाढ़ से हरेक वर्ष जूझते हैं। बागमती नदी किनारे बसे इस गांव के लोग 2005 से कटाव की त्रासदी झेल रहे हैं।
खगडिय़ा [निर्भय]। अलौली प्रखंड की चेराखेरा पंचायत में उत्तरी बोहरा गांव की त्रासदी अंतहीन है। बागमती नदी किनारे बसे इस गांव के लोग 2005 से कटाव की त्रासदी झेल रहे हैं। 2017 में यहां 25 घर नदी में समा गए। इस वर्ष भी कटाव तेज है।
अंचल प्रशासन की मानें तो आठ घर नदी में विलीन हुए हैं और कटाव को देखते हुए पांच घरों को खाली कराया गया है। धरातल पर स्थिति भयावह है। प्रशासनिक अधिकारी कुछेक परिवारों को पॉलीथीन शीट और चूड़ा-शक्कर देकर निश्चिंत हैं। यहां प्रशासन की ओर से नाव तक नहीं दी गई है। उत्तरी बोहरवा के लोगों का निकटतम बाजार अलौली प्रखंड मुख्यालय आठ किलोमीटर दूर है, तो मेघौना तीन किलोमीटर। नाव के अभाव में कहीं भी जाना मुश्किल है। मिथिलेश कुमार महतो कहते हैं कि नाव के बिना राशन लाना भी मुश्किल है। इस सावन में अब तक 13 घर बागमती नदी में विलीन हो चुके हैं। मिथिलेश कुमार महतो, ललित कुमार, इंदल बिंद, संजय बिंद, विपिन बिंद, भोला बिंद, विजय बिंद, अनिरुद्ध बिंद, मातो बिंद, लक्ष्मी बिंद, ललन बिंद, फुलेंद्र बिंद और लालबाबू बिंद के आवास नदी में समाए हैं। एक दर्जन और घर कटाव के मुहाने पर हैं। पंचायत के पूर्व मुखिया योगेंद्र महतो बताते हैं कि खुशीलाल बिंद, सत्तो बिंद, अच्छेलाल बिंद आदि के घर दो-चार दिनों में नदी में विलीन हो जाएंगे। मिथिलेश महतो प्राइवेट ट्यूटर हैं। लॉकडाउन के कारण ट्यूशन बंद है। पिछले वर्ष इनका घर बागमती के कटाव की भेंट चढ़ गया। कटाव स्थल से दूर हटकर दोबारा घर बनाया। इस बार यह घर भी बह गया। मिथिलेश कहते हैं-आधा घर नदी में चला गया और आधा कभी भी चला जाएगा। अभी सड़क किनारे पन्नी टांगकर रह रहे हैं। कोई देखने नहीं पहुंचा।
उत्तरी बोहरवा में कटाव जारी है। आठ घर कटने की सूचना है। राहत दी गई है। क्षतिपूर्ति को लेकर जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है। - प्रमोद कुमार, सीओ, अलौली।
उत्तरी बोहरवा नदी के अंदर है। फिलहाल वहां कटाव निरोधी काम करना संभव नहीं है। जो हो सकता है, करवाया जाएगा। - सत्यजीत, अधीक्षण अभियंता, बाढ़ नियंत्रण अंचल, खगडिय़ा।