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बिहार के इस जिले के 87 मुक्त बंधुआ मजदूरों का ढाई वर्ष से बंद है पेंशन

बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम के तहत मुक्त बंधुआ मजदूरों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए अन्य गरीबों की तरह बासगीत पर्चा दिए जाने का भी प्रावधान है। राज्य पेंशन योजना बंद होने के बाद इनलोगों को आजतक राष्ट्रीय पेंशन योजना में समायोजित नहीं किया गया।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 11:43 AM (IST)Updated: Sun, 14 Mar 2021 11:43 AM (IST)
बिहार के इस जिले के 87 मुक्त बंधुआ मजदूरों का ढाई वर्ष से बंद है पेंशन
सहरसा में बंधुआ मजदूरों का पेंशन बंद।

जागरण संवाददाता, सहरसा। विभिन्न प्रांतों से मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों को जिला प्रशासन की हदृयहीनता के कारण अबतक पुनर्वासित नहीं किया गया। सरकार ने बंधुआ मजदूरी उन्मूलन (अधिनियम) 1976 की व्यवस्थाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जिला प्रशासन को शक्ति प्रदान किया। इसके तहत आजाद बंधुआ मजदूरों को पुनर्वास हेतु 15 अवयवों का लाभ दिया जाना है। जहां जिले के मुक्त कुछ बंधुआ पुनर्वास की राशि से वंचित हैं, कुछ को आधी- अधूरी राशि मिली, वहीं जिन्हें पुनर्वास की राशि मिली,वे अन्य सुविधाओं से वंचित हैं। जिले के 87 मुक्त बंधुआ मजदूर जिन्हें जुलाई 2018 तक सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त होता था। राज्य पेंशन योजना बंद होने के बाद इनलोगों को आजतक राष्ट्रीय पेंशन योजना में समायोजित नहीं किया गया, फलस्वरूप इनलोगों को विगत ढाई वर्षों से पेंशन नहीं मिल रहा है।

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मात्र छह मुक्त बंधुआ मजदूरों को मिला बासगीत पर्चा

बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम के तहत मुक्त बंधुआ मजदूरों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए अन्य गरीबों की तरह बासगीत पर्चा दिए जाने का भी प्रावधान है। परंतु ,सहरसा जिले में वर्ष 1986 से अबतक मुक्त 384 मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों में मात्र सोनवर्षा अंचल के छह को बासगीत पर्चा मिला है। अन्य अंचल के मुक्त बंधुआ मजदूर बासगीत पर्चा के लिए दर- दर भटक रहे हैं। बचपन बचाओ आंदोलन के प्रदेश पुनर्वास संयोजक घुरण महतो कहते हैं कि इन सभी योजनाओं के लिए जिलाप्रशासन को शक्ति निहित है, परंतु इस ओर प्रशासन गंभीर नहीं होता। ऐसे में मुक्त बंधुआ मजदूर पुन: शोषण की चक्की में पिसने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

क्या कहते हैं मुक्त बंधुआ मजदूर

महिषी प्रखंड के झिटकी के रविद्र सादा कहते हैं कि सरकार ने मुक्त बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास से लेकर बच्चों तक के शिक्षा का प्रावधान किया है, परंतु उनलोगों को जो पेंशन मिल रहा था, वह भी बंद कर दिया गया। करहरा के मो. हशमत का कहना है कि वे लोग आजतक बासगीत पर्चा के लिए दौड़़ते रह गए। वह तो मिला नहीं उपर से पेंशन भी छीन लिया गया। करहरा के परवेज और सत्तरकटैया के दिनेश कुमार का कहना है कि सरकार गरीबी उन्मूलन का नारा तो दे रही है, परंतु हमलोगों काे मिलने वाली सुविधा भी छीन ली गई है। इस समस्या को कोई सुननेवाला नहीं है।

राज्य योजना से जिन लोगों को पेंशन प्राप्त हो रहा था। उसे अहर्ता के मुताबिक अन्य योजनाओं में समायोजित करने का निर्देश दिया गया है। बंधुआ मजदूरों को किस योजना से समायोजित किया जा सकता है। इसके लिए कोई निर्देश नहीं है। इस मामले को राज्यस्तरीय बैठक में उठाया गया है। निर्देश प्राप्त करने के उपरांत उचित निर्णय लिया जाएगा। -  कुमार सत्यकाम,  सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा, सहरसा।


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