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मिट्टी में चूने की कमी से भी टूट रहा पनामा बिल्ट का कहर, जानें... केलांचल की स्थिति

कटिहार जिले में लगभग छह हजार हेक्टेयर में केले की फसल लगती थी लेकिन पनामा बिल्ट के कारण गत चार वर्षों में इसका रकवा लगभग आधा हो चुका है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 05:51 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 05:51 PM (IST)
मिट्टी में चूने की कमी से भी टूट रहा पनामा बिल्ट का कहर, जानें... केलांचल की स्थिति
मिट्टी में चूने की कमी से भी टूट रहा पनामा बिल्ट का कहर, जानें... केलांचल की स्थिति

कटिहार [नंदन कुमार झा]। केलांचल के नाम से चर्चित कटिहार जिले में केले की फसल पर टूट रहा पनामा बिल्ट के कहर का एक कारण यहां की मिट्टी में चूना या कैल्शियम की कमी भी है। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी लगातार इसको लेकर किसानों को जागरुक भी कर रहे हैं। इधर पनामा बिल्ट के निदान को लेकर केला अनुसंधान केंद्र के विज्ञानियों ने भी यहां कार्य शुरू किया है। लगभग तीन सौ प्रकार की प्रजातियों पर शोध किया है, लेकिन खास सफलता नहीं मिली है। जिले में लगभग छह हजार हेक्टेयर में केले की फसल लगती थी, लेकिन पनामा बिल्ट के कारण गत चार वर्षों में इसका रकवा लगभग आधा हो चुका है।

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जांच रिर्पोट में किया गया खुलासा

पनामा बिल्ट रोग के निदान को लेकर राज्य बागवानी मिशन द्वारा गठित टीम द्वारा भी स्थलीय जांच की गई है। टीम द्वारा सौंपे गए प्रतिवेदन में मिट्टी में चूना की कमी को भी पनामा बिल्ट का कारण बताया गया है। इसके अलावा किसानों द्वारा फसल चक्र को नहीं अपनाना और रोगग्रस्त खेतों में फिर से केला की खेती करने के कारण भी पनामा बिल्ट का कहर जारी रहने की बात सामने आई है।

अम्लीय भूमि के कारण बढ़ता है पनामा बिल्ट का प्रकोप  

मिट्टी जांच के दौरान जिले के 44 फीसदी जमीन में चूना (कैल्शियम) की कमी सामने आई है। मृदा विज्ञानियों की मानें तो यहां की जमीन अम्लीय है। रासायनिक उर्वरकों का बेतहाशा प्रयोग के कारण मिट्टी की अम्लीयता बढ़ी है। अधिकांश जमीनों में कैल्शियम का मान पीएच स्केल पर 5.5 से लेकर 6.5 के बीच रहा है, जबकि इसका सही पैमाना सात है। अधिक अम्लीयता के कारण पनामा बिल्ट यहां तेजी से फैलता है।

फसल तैयार होने के बाद बढ़ता है प्रकोप

वृहत पैमाने पर केला की खेती करने वाले किसान अमित वत्सल, अफरोज आलम, विनोद यादव,  व विजय गुप्ता ने कहा कि केला कभी उनके लिए अहम नकदी फसल था। लागत की अपेक्षा दुगुनी आमदनी आम बात थी। पनामा बिल्ट के कारण काफी नुकसान होने व समुचित उपचार नहीं मिलने के कारण वे अब केले की खेती से परहेज कर रहे हैं। बता दें कि पनामा बिल्ट लगने के कारण केले की फसल अचानक पीला पड़ जाता है और फसल धीरे-धीरे सूख जाती है।

जिले की मिट्टी अम्लीय है। लगभग 44 फीसदी जमीन में कैल्शियम की कमी है। केला की फसल में इसकी कमी के कारण पनामा बिल्ट का प्रकोप बढ़ता है। अगर फसल लगाने के पूर्व मिट्टी जांच कर चूना का प्रयोग मानक के अनुरुप किया जाए तो पनामा बिल्ट का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके साथ ही किसानों के लिए फसल चक्र का पालन करना आवश्यक है। - डा. रामाकांत सिंह, मृदा वैज्ञानिक, केविक कटिहार।


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