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अरे यह क्‍या! समय से पहले धान में बाल‍ियां, बांका के किसान हुए चिंतित, क्‍या पैदावार पर पड़ेगा असर?

समय से पहले धान फूटने से किसानों की च‍िंता बढ़ी है। जिले में आंशिक असर पडऩे की संभावना है। सात एकड़ लगे धान में पैदावार कम होने की संभावना। 90 से 95 प्रतिशत धान फूटने लगा है। किसान च‍िंतित हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 11:21 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 11:21 AM (IST)
अरे यह क्‍या! समय से पहले धान में बाल‍ियां, बांका के किसान हुए चिंतित, क्‍या पैदावार पर पड़ेगा असर?
बांका के शंभूगंज में धान की खेती।

संवाद सूत्र, शंभूगंज (बांका)। भादो मास में ही कई जगहों पर तो धान फुटकर तैयार है, और फसल पकने के कगार पर है। अभी बारिश का मौसम खत्म नहीं हुआ है। इससे फसल पैदावार को लेकर किसानों की ङ्क्षचता बढ़ गई है। गुलनी कुशाहा, करसोप , बिरनौधा सहित कई पंचायतों में खेतों में धान फूटना शुरू हो गया है। खासकर गुलनी पंचायत के नरसंडी, खजुरीडीह इत्यादि गांव के अधिकांश किसानों के लगभग छह से सात एकड़ खेतों में 90-95 फीसद तक धान फूट गया है।

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किसानों की राय

किसान उमेश राम ने बताया कि तीन बीघे में हजार एक किस्म की धान की खेती किए हैं। भादो मास की शुरूआत से ही धान फूटना शुरू हो गया है। अब तो फसल पकना भी शुरू हो गया है। किसान कैलाश राम, सदानंद यादव, मुन्नी ठाकुर सहित अन्य ने भी समय से पहले धान में बाली आने की जानकारी दी है। बताया कि धान में बाली आने से किड़ाखोरी शुरू हो गई है। रोकथाम के लिए खेतों में कीटनाशक दवा का भी छिड़काव भी किया गया है। पर कीट-पतंग धान के डंटल को काटकर नीचे गिरा रहे हैं। इससे किसानों की परेशानी दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रही है। काफी मेहनत और खर्च कर धान की खेती की गई थी। इससे धान की बंपर पैदावार होने की आस जगी थी। पर फसल की स्थिति देख मूलधन लौटने की भी संभावना कम दिख रही है।

धान समय से पहले नहीं बल्कि समय पर फूटना शुरू हुआ है। उपरोक्त किसानों ने कम अंतराल यानी 110 से 115 दिनों में तैयार होने वाला किस्म का धान लगाया है। मौसम अनुकूल होने के कारण किसानों ने धान बिचड़ा पहले गिरा दिया। जिसले समय पर धान फूटना शुरू हो गया।

किसानों को च‍िंता करने की कोई जरूरत नहीं है। बारिश पडऩे से फसल पुष्ट होने के बजाए खखड़ी में परिणत होने की संभावना है। इससे फसल पैदावार पर आंशिक असर पडऩे की संभावना है। - अनिल कुमार, कृषि पदाधिकारी, शंभूगंज


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